
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्यपाल आरएन रवि के स्वतंत्रता दिवस के पारंपरिक “एट होम” स्वागत समारोह का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। यह राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराव का नया और बड़ा चरण माना जा रहा है। राज्य सरकार ने इस बहिष्कार की वजह राज्यपाल के ‘तमिलनाडु विरोधी कृत्यों’ को बताया है। इसके साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुदी भी दो विश्वविद्यालयों के आगामी दीक्षांत समारोह में शामिल नहीं होंगे। डीएमके इसे राज्य सरकार के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश के खिलाफ एक मजबूत संदेश के रूप में पेश कर रही है।
इस विवाद का मुख्य कारण राज्यपाल का वह फैसला है, जिसमें उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के सम्मान में ‘कलाईंगर यूनिवर्सिटी’ स्थापित करने वाले विधानसभा से पारित विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेज दिया। डीएमके का आरोप है कि यह कदम जानबूझकर मंजूरी में देरी करने और राज्य की विधायी शक्तियों को कमजोर करने की कोशिश है। यह मुद्दा ऐसे समय पर उठा है, जब पहले भी कई विधेयकों को राज्यपाल ने लंबित रखा था, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा था। अदालत ने इन विधेयकों को ‘मंजूर’ मानते हुए साफ कहा था कि राज्यपाल और राष्ट्रपति के पास ऐसे मामलों में कोई विवेकाधिकार नहीं है, और अधिकतम तीन महीने में फैसला करना होगा।
राज्यपाल के भाषण से बढ़ा विवाद
ताजा विवाद राज्यपाल रवि के स्वतंत्रता दिवस भाषण से भड़का। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की उपलब्धियों की जमकर तारीफ की, लेकिन राज्य सरकार या मुख्यमंत्री स्टालिन के कार्यों का कोई सकारात्मक जिक्र नहीं किया। अपने संबोधन में उन्होंने तमिलनाडु में ‘गंभीर चुनौतियों’ का जिक्र करते हुए गरीबों के खिलाफ शैक्षणिक और सामाजिक भेदभाव, राष्ट्रीय औसत से दोगुनी आत्महत्या दर, युवाओं में नशीले पदार्थों की बढ़ती लत और महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि जैसे मुद्दे उठाए। उन्होंने इन मामलों में सत्ता से जुड़े लोगों के संरक्षण का भी आरोप लगाया।