
उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि दुर्भाग्य है कि कुछ लोग भगवा को आतंकवाद कहते हैं. मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA कोर्ट के फैसले पर उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना यूबीटी ने प्रतिक्रिया दी. पार्टी ने कहा कि कुछ नेताओं ने ‘भगवा आतंकवाद’ की संज्ञा दी थी लेकिन भगवा कभी आतंकवाद से जुड़ा नहीं हो सकता. दुर्भाग्य है कि कुछ लोग भगवा को आतंकवाद कहते हैं. न्याय मांगने में समय लगता है लेकिन न्याय जरूर मिलता है.”
क्या है मालेगांव ब्लास्ट केस?
मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में विस्फोट हो गया था. इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 अन्य घायल हो गए थे. इसमें बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सातों आरोपियों को NIA की कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि शक के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
कोर्ट ने ये भी कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता- दुबे
कोर्ट के इस फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो गया. शिवसेना यूबीटी के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि कोर्ट का जो निर्णय है वह स्वागत योग्य है. 17 साल बाद ही सही सत्य तो मिला. सोचिए कि इन 7 आरोपियों के जीवन में 17 साल कैसे बीते होंगे? साथ ही साथ एक प्रश्न भी उठता है कि 17 साल लग गए न्याय मांगने में? हम कोर्ट का धन्यवाद देते हैं कि देर आए दुरुस्त आए. कोर्ट ने ये भी कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता.
जांच विभाग और पुलिस विभाग की घोर विफलता- अरविंद सावंत
वहीं शिवसेना (UBT) के सांसद अरविंद सावंत ने कहा, “कोर्ट ने कहा है कि सबूतों की कमी है. मुंबई रेल ब्लास्ट घटना, जिसमें लगभग 187 लोगों की मृत्यु हुई और 800 से अधिक लोग घायल हुए, उसमें भी सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था. दो सवाल खड़े होते हैं कि यदि वे गुनहगार नहीं थे तो उन्हें इतने साल तक बंदी क्यों बनाए रखा? दूसरा क्यों हमारी पुलिस सबूत तक नहीं दे पा रही है? यह जो जांच चल रही है, उसे लेकर मुझे ज्यादा चिंता होती है. किसी ने तो इसे(मालेगांव ब्लास्ट) अंजाम दिया था. यह जांच विभाग और पुलिस विभाग की घोर विफलता है.”