महाराष्ट्र में पूजा स्थलों से हटाए गए 3367 लाउडस्पीकर, CM फडणवीस की चेतावनी- ‘अगर दोबारा लगे तो…’

मुख्यमंत्री फडणवीस के अनुसार, राज्य के पूजा स्थलों से 3,367 लाउडस्पीकर हटा दिए गए हैं, जिनमें से 1,608 अकेले मुंबई से हैं. बिना अनुमति लाउडस्पीकर दोबारा लगाने पर चेतावनी भी दी है. महाराष्ट्र में ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. नॉइस पल्यूशन को कम करने के ठोस प्रयास के तहत महाराष्ट्र भर के पूजा स्थलों से कुल 3,367 लाउडस्पीकर हटा दिए गए हैं. इस बात की जानकारी खुद सीएम मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में है.

दोबारा नहीं लगाए जाएंगे लाउडस्पीकर
मुंबई पुलिस अकेले मुंबई में पूजा स्थलों से अब तक 1,608 लाउडस्पीकर हटाने में सफल रही है. इनमें 1150 मस्जिदों, 48 मंदिरों, 10 चर्च, 4 गुरुद्वारों और 147 अन्य स्थलों के लाउडस्पीकर शामिल हैं. सीएम फडणवीस ने यह बताया कि यह उपलब्धि बिना किसी धार्मिक या सांप्रदायिक तनाव के हासिल की गई है. कहीं भी तनाव का माहौल नहीं बना.

अब मुंबई में सभी धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर नहीं लगाए जाएंगे. इसी के साथ सीएम देवेंद्र फडणवीस ने चेतावनी दी है कि अधिकारियों की अनुमति के बिना लाउडस्पीकर दोबारा लगाने पर स्थानीय पुलिस स्टेशन के अधिकारी ज़िम्मेदार होंगे.

ध्वनि प्रदूषण रोकने की ओर बड़ा कदम
राज्य सरकार का यह कदम महाराष्ट्र में ध्वनि प्रदूषण को कम करने और सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला प्रदूषण के खिलाफ एक जरूरी कदम है.

केवल विशेष दिनों पर अनुमति
सीएम मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि रात 10.00 बजे के बाद लाउडस्पीकर नहीं बजाए जा सकते. यह कानून करीब 20 साल से लागू है. कुछ विशेष पर्व के लिए कोर्ट ने छूट दी है. इनमें गणपति उत्सव के 4 दिन, नवरात्रि और डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर जयंती पर रात 12.00 बजे तक लाउडस्पीकर की अनुमति है.

‘सुबह 10.00 बजे भी बजता है लाउडस्पीकर’ 
देवेंद्र फडणवीस द्वारा विधानसभा में दी जा रही जानकारी के दौरान एनसीपी विधायक अनिल पाटील ने संजय राउत पर तंज कसा. उन्होंने उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत की ओर इशारा करते हुए सवाल किया रोज सुबह जो लाउडस्पीकर बजता है, उसका क्या करना है?

इस सवाल के जवाब में सीएम फडणवीस ने कहा कि ध्वनि के प्रदूषण को लेकर कानून बनाया गया है, लेकिन विचारों के प्रदूषण पर अभी तक कोई कानून नहीं है.

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