
आपातकाल की बरसी के मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मौजूदा हालात को अघोषित आपातकाल करार दिया है। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र का सबसे अधिक ह्रास पिछले 11 वर्षों में हुआ है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज आपातकाल की बरसी पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकारों द्वारा संविधान हत्या दिवस मनाना ऐसा है, जैसे कोई बेईमान व्यक्ति ईमानदारी पर ज्ञान दे।
गहलोत ने कहा कि देश में लोकतंत्र का सबसे अधिक ह्रास पिछले 11 वर्षों में हुआ है। उन्होंने मौजूदा हालात को अघोषित आपातकाल करार देते हुए कहा कि संविधान को भले ही आधिकारिक रूप से निलंबित नहीं किया गया हो लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जनता के अधिकार और विपक्ष की आवाज को दबाने का सिलसिला लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि पत्रकार अगर सवाल पूछे तो देशद्रोही, छात्र विरोध करें तो आतंकवादी, विपक्षी नेता सरकार का विरोध करें तो ईडी का निशाना। क्या यही है भाजपा सरकार का लोकतंत्र का नया मॉडल?
गहलोत ने मीडिया की स्वतंत्रता पर भी चिंता जताते हुए कहा कि एनडीटीवी, बीबीसी, दैनिक भास्कर और न्यूज क्लिक जैसे संस्थानों पर इसलिए छापे पड़े क्योंकि उन्होंने सरकार के खिलाफ सच दिखाने की कोशिश की। उन्होंने सिद्धिक कप्पन का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार के खिलाफ रिपोर्टिंग करने पर पत्रकारों को बरसों तक जेल में डाला गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में विपक्ष के नेताओं पर दोहरी नीति अपनाई जाती है। जो नेता भाजपा में शामिल हो जाए, उस पर ईडी की कार्रवाई रुक जाती है लेकिन जो विरोध में हो, उसे निशाना बनाया जाता है।
गहलोत ने इमरजेंसी और वर्तमान हालात की तुलना करते हुए कहा- आपातकाल में किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार नहीं किया गया था, न किसी सांसद की सदस्यता रद्द की गई थी लेकिन आज दिल्ली और झारखंड के मुख्यमंत्री जेल में हैं, राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई। पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा ने पिछले 11 वर्षों में कई राज्यों में जनमत का अपहरण कर सरकारें गिराईं और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए राज्य सरकारों में दखल दिया। उन्होंने कहा कि आज देश में आम नागरिक भी अपनी निजी बातचीत को लेकर असुरक्षित महसूस करता है। अंत में गहलोत ने कहा कि कहा कि हम डरेंगे नहीं, झुकेंगे नहीं। संविधान, लोकतंत्र और जनता की आवाज को बचाने के लिए हम लड़ते रहेंगे।