
पाकिस्तान में नेशनल असेंबली स्पीकर और सीनेट चेयरमैन के वेतन में 5 गुना इजाफा किया गया है. शहबाज सरकार ने ये फैसला तब किया है, जबकि पाकिस्तान को IMF और दूसरे देशों से लोन मिला.
पाकिस्तान गहरे आर्थिक संकट और महंगाई से जूझ रहा था. इस बीच उसे IMF की तरफ से एक मिलियन डॉलर का लोन मिलने वाला है. हालांकि, पाकिस्तानी सरकार इस पैसों को इस्तेमाल आम जनता की भलाई में न करके अपने लोगों की जेब भरने में कर रही है. पाकिस्तान की संघीय सरकार ने नेशनल असेंबली के स्पीकर अयाज सादिक और सीनेट के चेयरमैन यूसुफ रजा गिलानी की सैलरी 5 गुना बढ़ा दी है.
ARY न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पहले इनकी सैलरी 205,000 रुपये थी, जिसे बढ़ाकर अब 1.3 मिलियन रुपये कर दिया है यानी करीब पांच गुनाकी बढ़ोतरी की गई है. शहबाज सरकार के इस फैसले से पाकिस्तान की जनता नाराज बताई जा रही है. सरकारी अधिसूचना के अनुसार, सैलरी में इजाफा एक जनवरी 2025 से लागू किया जाएगा यानी पिछले छह महीने का एरियर में इन्हें मिलेगा. वेतन में यह वृद्धि वेतन, भत्ते और विशेषाधिकार अधिनियम 1975″ में संशोधन के माध्यम से की गई है, जिसे राष्ट्रपति की तरफ से अध्यादेश के रूप में लागू किया गया. बता दें कि हाल ही में भारत के हाथों ऑपरेशन सिंदूर में बुरी तरह पिटने के बाद पाकिस्तान को IMF ने जीवनदान देते हुए लोन देने का ऐलान किया था. हालांकि, हाथ लगते ही पाकिस्तानी हुक्मरानों की पार्टी शुरू हो गई और आम जनता की तंगहाली की स्थिति में सड़ने के लिए छोड़ दिया.
शहबाज शरीफ के मंत्रियों की मौज
पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने जिन अधिकारियों की वेतन बढ़ोतरी की है, उसमें नेशनल असेंबली स्पीकर, सीनेट चेयरमैन, संघीय मंत्री और सांसद (MNA/सीनेटर) शामिल हैं. इनकी सैलरी में 160 से लेकर 500 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान के नेशनल असेंबली स्पीकर को पहले 205,000 (PKR) मिलता था, जो अब 1,300,000 मिलेगा. इस तरह से सीनेट चेयरमैन की भी सैलरी बढ़ाई गई है. वहीं संघीय मंत्री को पहले 218,000 (PKR) मिलता था, जो अब 519,000 मिलेगा. इसमें 138% की बढ़ोतरी हुई है. सांसद की सैलरी में 160 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. पहले इन्हें 200,000 (PKR) मिलते थे, लेकिन अब से 519,000 मिलेंगे.
जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान में वेतन वृद्धि ऐसे समय में की गई है जब पाकिस्तान IMF से बेलआउट पैकेज की उम्मीद में है. देश में महंगाई दर 30% से अधिक है. आम जनता आटा, बिजली, पेट्रोल जैसी जरूरी चीजों के लिए संघर्ष कर रही है. स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा क्षेत्र में कटौती की जा रही है. ट्विटर, फेसबुक और स्थानीय मीडिया पर इस फैसले को लेकर तीखी आलोचना की जा रही है. विपक्ष ने इसे “जनविरोधी और अवसरवादी निर्णय” करार दिया है.
क्या वित्त समिति को था यह अधिकार?
एक दिलचस्प तथ्य यह भी सामने आया है कि वित्त समिति के पास स्पीकर और चेयरमैन के वेतन में वृद्धि का अधिकार नहीं था. सूत्रों के अनुसार यह वेतन वृद्धि एक राजनीतिक निर्णय थी, जिसे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की स्वीकृति के बाद लागू किया गया. इससे स्पष्ट है कि वेतन वृद्धि संवैधानिक प्रक्रिया से अधिक राजनीतिक समीकरणों के आधार पर की गई.
पहले भी हुआ है ऐसा?
पाकिस्तान में इस साल जनवरी 2025 में सांसदों के वेतन में वृद्धि की मंजूरी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दी थी. MPA और प्रांतीय मंत्रियों के वेतन में भी वृद्धि हुई थी (विशेषकर पंजाब में). यह कदम पहले से ही विवादों में था, और अब स्पीकर/चेयरमैन को शामिल कर यह मुद्दा सार्वजनिक असंतोष का कारण बन गया है.