
पंजाब में एक जून से और इसके बाद हरियाणा में धान की बुआई के दौरान राज्यों की पानी की खपत को देखते हुए बीबीएमबी को एक जून से पहले पानी के बंटवारे पर फैसला लेना होगा, क्योंकि भाखड़ा मेन लाइन की कुल क्षमता 12,500 क्यूसेक है।
हरियाणा के बाद अब पंजाब ने बीबीएमबी के सामने 9000 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की मांग रख दी है। पंजाब में इस बार 15 दिन पहले एक जून से धान की बुआई शुरू हो रही है। राज्य के हर किसान के खेतों तक नहरी पानी पहुंचाने और सीएम भगवंत मान के वादे को पूरा करने के लिए सरकार ने ऐसा किया है। गौरतलब है कि इससे पहले हरियाणा ने बीबीएमबी की तकनीकी कमेटी के समक्ष 10,300 क्यूसेक पानी की मांग की थी।
हालांकि पंजाब सरकार ने हरियाणा की इस मांग पर विरोध जताया था। मान सरकार ने बीबीएमबी के सामने यह तथ्य पेश किए हैं कि पिछले साल धान की बुआई के लिए 26 हजार क्यूसेक पानी की मांग थी, इस बार सीजन पहले शुरू करने और किसानों के खेतों तक नहरी पानी पहुंचाने के लिए शुरू किए पुराने रजवाहे और पाइपों के जरिए पानी पहुंचाने से इस बार 9 हजार क्यूसेक अतिरिक्त पानी की जरूरत पड़ेगी। मान सरकार ने इस बार धान की बुआई के लिए 35 हजार क्यूसेक पानी की मांग रखी है।
भाखड़ा मेन लाइन से पानी के बंटवारे पर बीबीएमबी लेगा फैसला
पंजाब में एक जून से और इसके बाद हरियाणा में धान की बुआई के दौरान राज्यों की पानी की खपत को देखते हुए बीबीएमबी को एक जून से पहले पानी के बंटवारे पर फैसला लेना होगा, क्योंकि भाखड़ा मेन लाइन की कुल क्षमता 12,500 क्यूसेक है। पिछली बैठक में पंजाब ने 17 हजार क्यूसेक, हरियाणा ने 10,300 क्यूसेक और राजस्थान ने 12 हजार क्यूसेक पानी की मांग रखी थी। हरियाणा ने इस बार अपनी तय जरूरत से 775 क्यूसेक अतिरिक्त पानी मांगा है। उधर पंजाब को भी धान की बुआई के लिए इस बार 9 हजार क्यूसेक अतिरिक्त पानी की जरूरत पड़ेगी।
डैम में पानी का स्तर बढ़ाने की मांग खारिज
हरियाणा ने भाखड़ा डैम का जलस्तर 1685 फुट और पोंग डैम का 1400 फुट तक भरने की मांग की है। परंतु पंजाब ने इसे खारिज करते हुए कहा कि 1988 की बाढ़ के बाद केंद्रीय जल आयोग ने अधिकतम जलस्तर भाखड़ा डैम में 1680 और 1390 फुट तय किया था। दरअसल भाखड़ा में इस समय जलस्तर इसलिए भी नहीं बढ़ाया जा सकता और न अधिक पानी छोड़ा जा सकता हैं, क्योंकि भाखड़ा मेन लाइन के कई जगहों पर मरम्मत का कार्य जारी है।