
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की समीक्षा बैठक की. बैठक में सीएम योगी ने खाद्य मिलावट और नकली दवाओं के बेचने को सामाजिक अपराध करार दिया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की समीक्षा बैठक की. उन्होंने कहा कि तेल, घी, मसाले, दूध और पनीर जैसी रोजमर्रा की चीजों की जांच वहीं की जाए जहां ये बनती हैं. खासतौर पर दूध और दुग्ध उत्पादों की सख्ती से जांच के लिए अलग टीमें बनाई जाएं, जो लगातार निगरानी करें.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जो लोग पेशेवर तरीके से बार-बार खून देते हैं, उनकी पहचान कर इस पर सख्त नियंत्रण लगाया जाए. उन्होंने साफ कहा कि जनता का स्वास्थ्य सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है और इस काम को पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए.
खाद्य पदार्थों में मिलावट सामाजिक अपराध- मुख्यमंत्री योगी
मुख्यमंत्री योगी ने खाद्य पदार्थों में मिलावट और नकली दवाओं के कारोबार को ‘सामाजिक अपराध’ बताते हुए कहा कि यह जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय है, जिससे किसी भी प्रकार का समझौता अक्षम्य होगा. उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि राज्य सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत मिलावटखोरों, नकली दवाओं के कारोबारी नेटवर्क और इस अपराध में संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त व निर्णायक कार्रवाई की जाए. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ऐसे लोगों को सार्वजनिक रूप से चिन्हित किया जाए और उनकी तस्वीरें प्रमुख चौराहों पर लगाई जाएं, ताकि जनता भी उन्हें पहचान सके और समाज में उनके प्रति नकारात्मक संदेश जाए. मुख्यमंत्री योग आदित्यानाथ को जानकारी दी गई कि राज्य में खाद्य और दवाओं की जांच के लिए प्रयोगशालाओं का नेटवर्क तेजी से बढ़ाया गया है. पहले जहां सिर्फ छह बड़े मंडलों में ये सुविधाएं थीं, अब अलीगढ़, अयोध्या, आजमगढ़, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, कानपुर, मिर्जापुर, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर और देवीपाटन जैसे 12 नए मंडलों में भी प्रयोगशालाएं और ऑफिस खोले गए हैं. साथ ही लखनऊ, गोरखपुर और झांसी में पुरानी प्रयोगशालाओं को और बेहतर बनाया गया है. इसके अलावा लखनऊ, मेरठ और वाराणसी में तीन नई आधुनिक माइक्रोबायोलॉजी लैब्स बनाई गई हैं, जहां सूक्ष्मजीव, बैक्टीरिया, वायरस और अन्य बीमारी फैलाने वाले तत्वों की जांच की जा सकती है. लखनऊ और मेरठ में जांचें शुरू भी हो गई हैं. मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि इन प्रयोगशालाओं के सही तरीके से संचालन और रख-रखाव के लिए एक खास फंड (कॉर्पस फंड) बनाया जाए.
नकली औषधियों के कारोबार पर नियंत्रण के निर्देश
नकली औषधियों के कारोबार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि पुलिस के साथ विभागीय समन्वय को और बेहतर बनाया जाए ताकि प्रवर्तन कार्यवाहियों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके. औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही कार्रवाइयों की समीक्षा भी बैठक में की गई.
खाद्य सुरक्षा की प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से एफएसडीए द्वारा पासवर्ड-संरक्षित बारकोड प्रणाली लागू की गई है, जिससे नमूनों के विश्लेषण की गोपनीयता और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है. प्रत्येक नमूने का परीक्षण वैज्ञानिकों द्वारा डिजिटल माध्यम से किया जाता है और उच्च अधिकारियों की स्वीकृति के बाद ही वह विश्लेषण मान्य माना जाता है.
फूड सेफ्टी कनेक्ट ऐप से करे शिकायत
आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने ‘फूड सेफ्टी कनेक्ट’ नामक मोबाइल ऐप और टोल फ्री नंबर 1800-180-5533 उपलब्ध कराया है. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि किसी भी शिकायत का निस्तारण तभी मान्य माना जाए जब शिकायतकर्ता संतुष्ट हो.
चिकित्सा उपकरण और दवाइयों के निर्माण के क्षेत्र में निवेश और रोजगार के मामले में काफी अच्छी प्रगति हुई है. मुख्यमंत्री को बताया गया कि पिछले तीन सालों में ₹1,470 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मंजूर हुए हैं, जिससे 3,340 से ज्यादा लोगों को सीधे नौकरी मिली है. दवाइयां बनाने वाली फैक्ट्रियों, मेडिकल उपकरण बनाने वाली इकाइयों, ब्लड बैंकों और दवा बेचने वाली दुकानों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. सिर्फ फुटकर दवा दुकानों में ही पिछले तीन सालों में 65,000 से ज्यादा नए रोजगार के मौके बने हैं. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि एफएसडीए (खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग) को और मजबूत किया जाए और इसके लिए जो पद खाली हैं, उनमें जल्द से जल्द भर्ती की जाए.