
जातीय जनगणना के ऐलान के बाद से ही यूपी में सियासी समीकरण बदलने के दावे किए जा रहे हैं. इस बीच यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बयान ने कुछ अलग ही संकेत दिए हैं.केंद्र की मोदी सरकार ने देश में जातीय जनगणना का ऐलान किया है. जिसे मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. ऐसे में कई लोग इस तरह के सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या हिन्दू और सनातन की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी भी अब जाति की राजनीति पर आगे बढ़ रही है. इन तमाम बातों के बीच यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का बयान सामने आया है, जिससे साफ है कि भारतीय जनता पार्टी ने जाति जनगणना के बावजूद धर्म के मुद्दे पर पीछे हटने वाली नही हैं. यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब यह कहा जा रहा है कि जातीय जनगणना से राज्य के सियासी समीकरण में बदलाव हो सकते हैं.
केशव प्रसाद मौर्य ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जातीय जनगणना के मुद्दे को लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस पर जोरदार हमला किया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने राम और रोटी के बीच सेतु बनाकर सियासत कर सारे समीकरण बदल दिए हैं. यही नहीं उन्होंने कांग्रेस पर भी अपनी सरकार के रहते जातीय जनगणना करवा सकती थी. लेकिन तब राहुल गांधी के पास घूमने के अलावा कोई काम नहीं होता था.
केशव प्रसाद मौर्य ने दिए संकेत
डिप्टी सीएम ने लिखा- ‘दशकों तक देश पर शासन करने वाली कांग्रेस के शाही परिवार के पास एक दशक पहले तक डॉ. मनमोहन सरकार का रिमोट कंट्रोल हाथ में था और वह जातिगत जनगणना कराकर उपेक्षित पिछड़ों के साथ न्याय कर सकता था. लेकिन तब बतौर सांसद श्री राहुल गांधी दुनिया भर में घूमने के अलावा और कोई काम नहीं करते थे. उनके घूमने का संसद के पास कोई रिकॉर्ड तक नहीं होता था. जबकि प्रोटोकॉल के तहत यह जरूरी था.’
उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री बनने से पहले जब श्री नरेंद्र मोदी जी ने लोकसभा चुनाव 2014 के पहले हुंकार भरी कि उनका ताल्लुक़ पिछड़ा वर्ग से है और फिर प्रधानमंत्री बनकर उन्होंने राम और रोटी के बीच सेतु बनकर देश की राजनीति के तमाम समीकरणों को बदल कर रख दिया, तब कांग्रेस की तंद्रा टूटी और रात-दिन पिछड़ा-पिछड़ा का राग अलापने लगी. जातिगत जनगणना जैसा महती काम भी मोदी जी के हाथों होना था। कांग्रेस और उसके साथी दलों की राजनीति जहां ख़त्म होती है, मोदी जी की राजनीति वहां से शुरू होती है. यह हुनर वह कई बार दिखा चुके हैं.’केशव मौर्य ने इससे पहले कहा था कि जातीय जनगणना कराने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही जाता है. वो पिछड़ों, दलितों और वंचितों के मसीहा हैं. उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद विपक्षी नेताओं की नींद उड़ गई हैं.