
महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. राज ठाकरे स्कूलों में हिंदी का विरोध कर रहे हैं. इस बीच सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इसपर आपत्ति जताई है. : महाराष्ट्र सरकार ने सभी मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवी कक्षा तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य करने का फैसला लिया है. इससे पहले राज्य में दो भाषाओं की पढ़ाई पांचवी कक्षाओं तक थी.
इस फैसले ने सियासी बवाल खड़ा कर दिया है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने इसका खुला विरोध किया. इसको लेकर अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर में सीएम ने कहा, ”महाराष्ट्र में मराठी भाषा अनिवार्य है. सभी को यह भाषा सीखनी चाहिए. उसके अलावा कोई अन्य भाषा सीखनी हो तो सीख सकते हैं. मुझे कभी-कभी आश्चर्य होता है, हिंदी का विरोध और अंग्रेजी का क्यों नहीं? अंग्रेजी को पालकी और हिंदी का विरोध. ये कैसा विचार है? हां अगर मराठी का किसी ने विरोध किया तो हम सहन नहीं करेंगे.”
कांग्रेस ने क्या कहा?
राज ठाकरे के साथ ही कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने शुक्रवार (18 अप्रैल) को बीजेपी पर हिंदी थोपकर क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृति को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि ‘महायुति’ सरकार को विद्यालयों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य बनाने के फैसले को वापस लेना चाहिए.
राज ठाकरे पार्टी ने हिंदी के विरोध मुंबई में पोस्टर्स लगाए हैं. राज ठाकरे ने एक्स पर लिखा, ‘‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि MNS इस निर्णय को बर्दाश्त नहीं करेगी. हम केंद्र सरकार के हर चीज को ‘हिंदीकृत’ करने के मौजूदा प्रयासों को इस राज्य में सफल नहीं होने देंगे. आपने महाराष्ट्र पर दूसरे क्षेत्र की भाषा क्यों थोपना शुरू कर दिया है? ’’ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत महाराष्ट्र के विद्यालयों में पहली से पांचवी कक्षा के लिए त्रि-भाषा फॉर्मूला लागू किया गया है. वर्तमान में, इन विद्यालयों में पहली से चौथी कक्षाओं में केवल मराठी और अंग्रेजी की पढ़ाई अनिवार्य है.