RBI से मोदी सरकार को बंपर डिविडेंट मिलने की है उम्मीद, इस भारी-भरकम रकम से इन कामों में मिलेगी मदद

रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2025 के लिए मोदी सरकार को 2.5 लाख करोड़ के लाभांश का भुगतान कर सकता है. इससे सरकार को कई सारे कामों में मदद मिलेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को वित्त वर्ष 2025 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से भारी लाभांश मिलने की उम्मीद है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 के लिए केंद्र सरकार को रिजर्व बैंक की तरफ से डिविडेंट के रूप में 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक मिलने की उम्मीद है. पिछले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2024) में RBI ने केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये दिए थे. वित्त वर्ष 2023 में रिजर्व बैंक ने इससे भी दोगुनी रकम सरकार को दी थी. 

अधिक डिविडेंड से सरकार की होगी खूब मदद 

अगर वित्त वर्ष 2025 के लिए आरबीआई की तरफ से सरकार को 2.5 लाख करोड़ रुपये का सरप्लस ट्रांसफर किया जाता है, तो यह वित्त वर्ष 2026 के लिए बजट अनुमान से अधिक होने के चलते केंद्र सरकार को राहत मिलेगी. इस रकम से सरकार को राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, यह बैंकिंग सिस्टम में नकदी बढ़ाने के मामले में भी सरकार को सशक्त करेगी.

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने बजट में 2.2 लाख करोड़ रुपये के डिविडेंड का अनुमान लगाया था. अर्थशास्त्रियों के हवाले से ईटी की रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि रुपये की एक्सचेंज दर को प्रोटेक्ट करने के लिए आरबीआई ने भारी मात्रा में डॉलर बेचे और बड़े पैमाने पर लिक्विडिटी संचालन से अर्जित ब्याज ने वित्त वर्ष 2025 के लिए सरकार को बंपर भुगतान मिलने की संभावनाओं को बढ़ा दिया है. 

डिविडेंड क्या होता है? 

भारतीय रिजर्व बैंक अपनी आय का एक हिस्सा सरकार को डिविडेंड के रूप में देता है. यह सरकार के लिए रेवेन्यू का एक बहुत बड़ा सोर्स है. इससे सरकार अपने तमाम वित्तीय जरूरतों को पूरा करती है.

अब सवाल आता है कि RBI की कमाई का जरिया क्या है? करेंसी की छपाई से लेकर कमर्शियल बैंकों को लोन पर मिले ब्याज से रिजर्व बैंक की कमाई होती है. इसके अलावा, सरकारी बॉन्ड की खरीद-बिक्री से भी आरबीआई को अच्छा-खासा मुनाफा होता है. विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए फॉरेन एसेट से भी आरबीआई की कमाई होती है. अमेरिकी बॉन्ड मार्केट में निवेश से भी रिजर्व बैंक को ब्याज मिलता है, इससे भी कमाई होती है.  

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