
यूआईटी आबू के विस्तार पर रोक लगाने की मांग विधायक समाराम गरासिया भी कर चुके हैं. बैठक में मौजूद लोगों ने नेताओं की भूमिका और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाये. यूआईटी आबू के विस्तार का विरोध शुरू हो गया है. रविवार को पिण्डवाड़ा तहसील के भुजेला स्थित हनुमान मंदिर में बैठक हुई. बैठक में यूआईटी आबू के विस्तार को रोकने की मांग उठाई गई. सरपंचों ने मुख्यमंत्री और नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा के नाम पत्र में गांवों को शामिल नहीं करने का अनुरोध किया. बैठक में आगामी रणनीति पर चर्चा कर कई प्रस्ताव पास किए गए.
बताया गया कि यूआईटी आबू संघर्ष समिति में जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों को जोड़ा गया है. यूआईटी आबू के विस्तार पर रोक लगाने की मांग विधायक समाराम गरासिया भी कर चुके हैं. बैठक में मौजूद लोगों ने नेताओं की भूमिका और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाये. सूची के मुताबिक पिण्डवाड़ा, आबू रोड, देलदर को यूआईटी आबू में शामिल किया जाना प्रस्तावित है. यूआईटी आबू के विस्तार का विरोध
आबू रोड, सांतपुर, खडात, मानपुर, क्यारिया, रेडवाकला, कैसरगंज, चन्द्रावती, कुई, तरतोली, आकराभट्टा, गणका, दूनाकाकर, सांगना, सियावा, वासडा, मावल, दानवाव, आमथला, कारोली, आम्बा, उमरनी, पांडुरी, मोरथला, खारा, ओर, डेरना, मूदरला, किवरली, वाडा, कासिन्द्रा, भुजेला, भीमाणा, उडवारिया, सांगवाडा, अचपुरा, काछोली, खाखरवाडा, फूलाबाई खेडा, भावरी, पातुम्बरी, तलवारो का नाका, मूगथला, झामर भक्योरजी, धामसरा, मीरगढ, सुरपगला, आंवल, भैंसासिंह, धनारी, गोलियां, नई धनारी, नानरवाडा, नितोडा, रेडवा खुर्द सूची में शामिल हैं.
लोगों का कहना है कि आखिर पर्दे के पीछे कौन सी शक्तियां क्रियाशील हैं. किसकी मेहरबानी से यूआईटी आबू के विस्तार की प्रस्तावित सूची तैयार हुई है. बीजेपी नेता भुवनेश राजपुरोहित ने बताया कि यूआईटी आबू का विस्तार गांवों के हित में नहीं है. विस्तार होने से लोगों को भारी समस्या होगी. गरीब लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ जायेगा. छोटे छोटे काम के लिये लोगों को यूआईटी आबू की ठोकरें खानी पड़ेगी. यूआईटी आबू का विस्तार किसी क्षेत्र के हित में नहीं है.
मुख्यमंत्री के नाम भेजा गया पत्र
राजपुरोहित ने मुख्यमंत्री से यूआईटी आबू के विस्तार को भंग करने की मांग की. लोगों का कहना है कि किसी भी परिस्थिति में विस्तार होने नहीं देंगे. आवश्यकता पड़ी तो आमरण अनशन पर बैठेंगे. शहरी सुधार ट्रस्ट (यूआईटी या नगर विकास न्यास ) राजस्थान में शहरी विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गठित एक प्रकार का वैधानिक निकाय है. यूआईटी बनाने की शक्ति राजस्थान शहरी सुधार अधिनियम, 1959 से मिली है.