
एमपी सरकार ने गेहूं के लिए 2600 रुपये और धान के लिए 4000 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य घोषित किया है. इस पर किसानों की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है. कुछ किसानों ने इसे सराहा है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गेहूं और धान की खरीदी को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा है कि गेहूं को 2600 रुपये प्रति क्विंटल और धान को 4000 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा. यह ऐलान किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए किया गया है, लेकिन क्या यह किसानों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा या फिर विरोध के सुर उठेंगे?
मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद बोले किसान
गेहूं की खरीदी को लेकर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की घोषणा के बाद किसानों ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी है. किसान हाकम सिंह का कहना है कि सरकार को गेहूं और धान का मूल्य और बढ़ाना चाहिए था, क्योंकि वर्तमान में घोषित किए गए गेहूं के मूल्य से किसानों की आर्थिक स्थिति पर अधिक फर्क पड़ने वाला नहीं है. किसान भारत सिंह के मुताबिक सरकार ने गेहूं का मूल्य 2600 रुपये क्विंटल किया है जो कि पिछले कुछ सालों की तुलना में ठीक है.
गेहूं का गढ़ है मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में खरीफ (Kharif) और रबी (Rabi) की फसल में सोयाबीन और गेहूं की सबसे ज्यादा पैदावार होती है. मालवा और निमाड़ में सोयाबीन प्रमुख फसल है, जबकि रबी सीजन में गेहूं किसानों की पहली पसंद बना रहता है. धान की खेती भी कुछ इलाकों में की जाती है, लेकिन क्या सरकार के इस नए समर्थन मूल्य से किसानों को वास्तविक फायदा मिलेगा या फिर यह सिर्फ एक राजनीतिक घोषणा बनकर रह जाएगी?
मध्य प्रदेश में फसलों की खरीदी को लेकर हमेशा से राजनीति होती आई है. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने के ऐलान के पीछे क्या सरकार की कोई रणनीति छिपी है, या फिर यह किसानों के हित में उठाया गया एक साहसिक कदम है? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में किसानों की प्रतिक्रिया और सरकारी नीतियों पर निर्भर करेंगे.