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दिल्ली विधानसभा चुनाव की हलचल के बीच यूपी के मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव ने सबका ध्यान आकर्षित किया है। मिल्कीपुर में रिकॉर्ड तोड़ मतदान हुआ है, जिससे सभी को हैरानी हुई है। यहां के सभी 414 मतदान केंद्रों पर जबरदस्त वोटिंग हुई, जिससे अब तक के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं। इस उपचुनाव पर ना केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश की नजरें जमी हुई थीं। अब सवाल ये है कि यहां के नतीजे क्या होंगे?
जानिए, क्या कहना है स्थानीय लोगों का?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, स्थानीय लोगों का कहना है कि इस रिकॉर्ड वोटिंग के पीछे राजनीतिक दलों और उनके कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत है। प्रत्येक वोटर तक पहुंचने और उन्हें मतदान केंद्र तक लाने का प्रयास किया गया, जिसका असर वोटिंग पर साफ नजर आया। कई जगहों पर मतदाता लंबी लाइनों में खड़े हुए और अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। इसका सीधा मतलब यह है कि राजनीतिक दलों ने अपने वोटर्स को घरों से बाहर निकालकर मतदान करवाया है। प्रशासन की तैनाती और सजगता से मतदान शांतिपूर्वक और बिना किसी परेशानी के संपन्न हुआ।
उपचुनाव में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर
अब बात करते हैं मिल्कीपुर उपचुनाव के परिणाम की। यह चुनाव बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही थी। कहा जा रहा था कि समाजवादी पार्टी और उनके सांसद अवधेश प्रसाद यहां अपनी पकड़ बनाए रखेंगे और उनके बेटे अजीत प्रसाद चुनाव जीतेंगे। इस चुनाव में 65.35 प्रतिशत वोटिंग हुई, जो दर्शाता है कि यहां के वोटर्स बहुत गंभीर थे। ऐसे में नतीजे कुछ खास होने की संभावना है।
जानिए, क्यों हुआ मिल्कीपुर उपचुनाव?
दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा विधायक अवधेश प्रसाद के अयोध्या से सांसद चुने जाने के बाद मिल्कीपुर विधानसभा में उपचुनाव की जरूरत पड़ी थी। पहले इस चुनाव की घोषणा में देरी हुई थी, क्योंकि भाजपा के बाबा गोरखनाथ ने एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने 2022 के चुनाव में अवधेश प्रसाद की जीत को चुनौती दी थी।
गोरखनाथ द्वारा अपनी याचिका वापस लेने के बाद, चुनाव आयोग ने 5 फरवरी को उपचुनाव की तिथि घोषित की। अब देखना यह है कि मिल्कीपुर में होने वाले इस उपचुनाव के परिणाम क्या होते हैं और यहां की जनता का रुझान किस ओर जाता है।