रेलवे लाइन पर ट्रेनों के टकराने की घटनाओं को कम करने के लिए झारखंड में स्वदेशी तकनीक कवच का स्थापना कार्य तेजी से चल रहा है। इस तकनीक से राज्य के 1693 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक पर सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। कवच तकनीक रेल यात्रा को और सुरक्षित बनाने में मदद करेगी। लोको पायलट को तेज गति सिग्नल की अनदेखी जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।
रेलवे लाइन पर ट्रेनों के टकराने की घटनाओं को कम करने और यात्री सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए राज्य में स्वदेशी तकनीक ‘कवच’ का स्थापना कार्य तेजी से चल रहा है। कवच तकनीक की शुरुआत देशभर में पहले से ही हो चुकी है, और अब झारखंड में भी 1,693 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक पर इसे लागू करने की मंजूरी मिल चुकी है।
इस तकनीक के तहत, 400 किलोमीटर के रूट पर टेंडर प्रक्रिया चल रही है। इससे राज्य में रेल यात्रा को और सुरक्षित बनाने के लिए अहम कदम उठाए गए हैं। इस तकनीक को रेल सुरक्षा कवच भी कहा जाता है, जो इंजन को ट्रैक से जोड़कर ट्रेन की गति और सुरक्षा की निगरानी करता है। इससे ट्रेनों के बीच टक्कर की संभावना में भारी कमी आएगी और लोको पायलट को तेज गति, सिग्नल की अनदेखी या खराब मौसम जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।
कवच लगाने में पांच चरणों की होती है प्रक्रिया
कवच लगाने के लिए पांच चरणों की प्रक्रिया पूरी की जाती है, जिसमें फाइबर आप्टिक केबल बिछाना, टेलीकाम टावर लगाना, स्टेशनों और ट्रेनों में उपकरण लगाना, और पटरियों के किनारे उपकरण लगाना शामिल है। इन प्रक्रियाओं को पूरी तरह से लागू करने से राज्य में रेल यात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
रेलवे मंत्रालय ने इस तकनीक को झारखंड में लागू करने का ऐलान किया है, जो आगामी वर्षों में राज्य के लिए रेल यात्रा को और अधिक सुरक्षित बनाएगा। इसके पहले देश में 1465 किमी के मार्ग और 139 इंजनों पर यह कवच सिस्टम पहले ही लागू हो चुका है। अब दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों पर भी इस प्रणाली का विस्तार किया जाएगा।
65 इंजनों में से लगाया गया है सिस्टम
भारतीय रेलवे ने इस परियोजना के लिए अब तक 1216 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। इसके साथ ही 13,000 से अधिक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजनों में से 65 इंजनों पर कवच सिस्टम लगाया जा चुका है।
कवच तकनीक के फायदे
यह तकनीक ट्रेनों के टकराने की संभावना को बहुत कम कर देती है।
खराब मौसम में लोको पायलट को सुरक्षित यात्रा के लिए मदद करती है।
ट्रेनों के आपस में टकराने की स्थिति में आटोमेटिक ब्रेक लगाने की क्षमता रखती है।
खराब सिग्नल या लोको पायलट की लापरवाही पर कवच अपने आप ट्रेन को रोकने की व्यवस्था करता है।
यह प्रणाली रेल क्रासिंग (एलसी गेट्स) के पास आते ही बिना लोको पायलट के हार्न बजाना शुरू कर देती है, ताकि खतरे से बचा जा सके।
रेल सुरक्षा कवच तकनीक की मदद से यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में असमर्थ होता है, तो सिस्टम अपने आप ब्रेक लगा देता है।
राजधानी एक्सप्रेस में बढ़ाए गए अतिरिक्त कोच
महाकुंभ को लेकर दिल्ली की ओर जाने वाली ट्रेनों में इन दिनों भीड़ अधिक होने के कारण यात्रियों को कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा है। यहां तक प्रतीक्षा सूची में यात्रियों की संख्या बढ़ गई है। यात्रियों की समस्या को देखते हुए राजधानी एक्सप्रेस में अतिरिक्त कोच बढ़ाए गए हैं।
12454/12453 नई दिल्ली – रांची राजधानी एक्सप्रेस एवं 20408/20407 नई दिल्ली – रांची राजधानी एक्सप्रेस में स्थायी रूप से कोच संयोजन मे वृद्धि की गई है।
20408 नई दिल्ली – रांची राजधानी एक्सप्रेस में पांच फरवरी से वातानुकूलित प्रथम श्रेणी का एक अतिरिक्त कोच स्थायी तौर पर लगाया जाएगा।
20407 रांची – नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में छह फरवरी से वातानुकूलित प्रथम श्रेणी का एक अतिरिक्त कोच स्थायी तौर पर लगाया जाएगा।
12454 नई दिल्ली – रांची राजधानी एक्सप्रेस में आठ फरवरी से वातानुकूलित प्रथम श्रेणी का एक अतिरिक्त कोच स्थायी तौर पर लगाया जाएगा।
12453 रांची – नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में नौ फरवरी से वातानुकूलित प्रथम श्रेणी का एक अतिरिक्त कोच स्थायी तौर पर लगाया जाएगा।
हाल के दिनों में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज जा रहे हैं। इससे ट्रेनों में सीटें नहीं मिल रही है। इसको देखते हुए रेलवे की ओर से अतिरिक्त व्यवस्था की जा रही है।