हालांकि, दावा है कि नवजात नीकू में पहले से भर्ती था। बिजली बाधित रहने से मशीन प्रभावित हो गई थी।
निगम के कस्तूरबा गांधी अस्पताल में बृहस्पतिवार को बिजली गुल रहने से एक नवजात की मौत हो गई। हालांकि, दावा है कि नवजात नीकू में पहले से भर्ती था। बिजली बाधित रहने से मशीन प्रभावित हो गई थी।
वहीं, बिजली गुल रहने के दौरान डॉक्टरों ने मोबाइल की टॉर्च में ही तीन डिलीवरी कीं। उधर, गर्मी से दिनभर नवजात, मां और गर्भवती महिलाएं गर्मी में परेशान होती रहीं। दरअसल, बृहस्पतिवार दोपहर एक बजे से मरम्मत के लिए अस्पताल की बिजली शाम चार बजे तक के लिए गुल की थी। इसी दौरान तीन महिलाओं को प्रसव का दर्द शुरू हो गया।
अस्पताल में बिजली न होने पर अंधेरा था, लेकिन डॉक्टरों ने हिम्मत जुटाकर मोबाइल की टॉर्च में ही डिलीवरी करने का फैसला लिया। देर शाम एक-एक करके अस्पताल में तीन बच्चों का जन्म हुआ। वहीं, अस्पताल के नीकू में पहले से भर्ती एक नवजात की मौत हो गई, जबकि दो बच्चे स्वस्थ हैं।
वहीं, नगर निगम का दावा है कि अस्पताल में कुछ समय तक बिजली बाधित रही। बिजली के कट से व्यवस्था थोड़ी अव्यवस्थित रही, लेकिन ऑपरेशन थिएटर में बिजली बैकअप उपलब्ध था। प्रशासन का दावा है कि अस्पताल में कुल तीन प्रसव हुए, जिसमें से दो प्रसव दिन की रोशनी में हुए और एक शाम के समय हुआ, तब तक अस्पताल में बिजली व्यवस्था बहाल हो गई थी।
निगम मोबाइल की टॉर्च में प्रसव होने की बात का खंडन करता है। इसके अलावा एक बच्चे की मौत की खबर है, लेकिन बताया गया है कि प्रसव के उपरांत उसकी सांस नहीं थी। उसे नीकू में वेंटीलेटर पर रखा गया था। उसकी स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में उसके अभिभावकों को जानकारी दी जा रही थी। नीकू के वेंटिलेटर का पॉवर बैक-अप सतत काम कर रहा था। पांच दिन तक वेंटीलेटर पर रहने के बाद बच्चे की मौत उसकी बीमारी से हो गई।
दिनभर गर्मी में परेशान रहीं महिलाएं, कई बेहोश
सूत्रों का कहना है कि अस्पताल में बिजली न रहने के कारण पहले से भर्ती महिलाएं काफी परेशान हुईं। कुछ महिलाओं का कहना है कि डिलीवरी के बाद कई महिलाएं काफी कमजोर हो गई हैं। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। ऐसे में बिजली गुल होने के बाद समस्या और गंभीर हो गई। कई महिलाएं बेहोश तक हो गईं।