साबरमती एक्सप्रेस हादसा : तीन घंटे तक 400 मीटर ट्रैक खंगालती रही एसआईटी और एफएसएल टीम

साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे डीरेल होने की घटना को जांचने के लिए लखनऊ से फोरेंसिक टीम मंगलवार को कानपुर पहुंची। घटनास्थल पर पहुंचकर टीम ने मौके पर मौजूद बोल्डर को देखा। उसे क्लैम्प के जरिए पटरी पर बंधवाने का प्रयास किया गया। टीम ने करीब तीन घंटे तक 400 मीटर रेलवे ट्रैक की एक एक बिंदु पर जांच की। इधर पुलिस के मुताबिक अब फोरेंसिक टीम की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा।

फोरेंसिक टीम के साथ डीसीपी पश्चिम राजेश कुमार सिंह व उनकी टीम मौजूद रही। टीम दोपहर एक बजे कानपुर पहुंची और उसके बाद घटनास्थल पनकी पहुंच गई। वहां पर बोल्डर पहले से मौजूद था और उसी क्लैम्प को मंगवाया गया जो मौके से मिला था। रेलवे कर्मियों को भी बुलाया गया था। उन्हीं से क्लैम्प के जरिए बोल्डर को पटरी पर बंधवाने का प्रयास किया गया। 45 मिनट से ज्यादा का वक्त गुजरा मगर बोल्डर उसी क्लैम्प के सहारे पटरी पर नहीं बांधा जा सका।

जमीन में धंसे मिले बोल्डर
इस दौरान टीम ने घटना स्थल से 100 मीटर पहले (ओवर ब्रिज के नीचे) जाकर देखा तो कुछ और बोल्डर्स जमीन में धंसे मिले। उनपर पेंट से कुछ लिखा हुआ भी था। डीसीपी के मुताबिक कई दिनों से रेलवे ट्रैक पर काम हो रहा था, रेलवे कर्मियों की लापरवाही की वजह से वहां बहुत से रेल ट्रैक पार्ट्स भी मिले हैं। अब तक 9 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच कर ली गई है। जिनमें कुछ ऐसा नहीं मिला है, जिससे साजिश की पुष्टि हो रही हो। वहीं पुलिस सूत्रों के मुताबिक इससे एक सम्भावना यह भी बनी कि जो बोल्डर मौके से मिला है। उसे भी जमीन से निकाला गया हो। इस बिन्दु पर भी जांच कराई जा रही है।

इंजन की जांच वाले स्थान पर भी जाएगी एफएसएल
साबरमती के लोको यानी इंजन को इलेक्टि्रक लोको शेड में टेक्निकल मुआयने के लिए भेजा गया है। इंजन के कैटल कैचर पर कुछ इंप्रेशन (टक्कर के निशान) मिले थे। ये निशान कितने हार्ड ऑब्जेक्ट से लगे हैं, इसकी जांच के लिए एफएसएल की टीम भी लोको शेड जाएगी।

इंजन के ब्लैक बॉक्स की जांच में सामने आया कि साबरमती एक्सप्रेस हादसे के समय 90 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही थी। ड्राइवर ने टीम को बताया कि 30 मीटर दूर से उसे भारी ऑब्जेक्ट दिखाई दिया था। पलक झपकते ही 30 मीटर की दूरी पूरी हो जाती है, लिहाजा ट्रेन को रोकना नामुमकिन था, इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन की स्पीड धीमी करने की कोशिश की गई।

चालक नहीं बता सका क्या देखा
डीसीपी ने बताया कि उन्होंने ट्रेन चालक (लोको पायलट) से खुद पूछताछ की थी। उसने यह कहा कि उसे कुछ बड़ी वस्तु दिखाई पड़ी थी। मगर वह क्या थी यह नहीं बता पाया। चालक को सफीना जारी किया गया है। उसके बयान के दौरान उससे इस बिन्दु पर पूछताछ की जाएगी।

लखनऊ से आई फोरेंसिक टीम ने ट्रैक, बोल्डर और इंजन की जांच की है। वह अपने साथ कुछ सैम्पल ले गए हैं। अब वह इसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर देंगे। सीसी टीवी कैमरे में अब तक कुछ मिला नहीं है। फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा। – राजेश कुमार सिंह डीसीपी पश्चिम

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