क्या आपका विटामिन-डी का लेवल सही है? हो सकता है कि आपके अंदर भी विटामिन-डी की कमी हो। ऐसा होना काफी आम है लेकिन इसका लेवल ज्यादा कम होना आपकी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इस आर्टिकल के जरिए हम कुछ ऐसे फैक्टर्स (Vitamin-D deficiency causes) के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जो विटामिन-डी की कमी की वजह बन सकते हैं।
विटामिन-डी, हमारे शरीर के लिए एक बहुत जरूरी पोषक तत्व है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य, इम्यून सिस्टम और मूड को प्रभावित करता है। इसलिए इसकी कमी (Vitamin-D Deficiency) होने की वजह से कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इनमें हड्डियों का कमजोर होना, ऑटोइम्यून डिजीज और डिप्रेशन भी शामिल हैं। हालांकि, आपको बता दें कि ज्यादातर लोगों में विटामिन-डी की कमी पाई जाती है। इसके पीछे कई फैक्टर्स शामिल हो सकते हैं। लेकिन क्या आप उनके बारे में जानते हैं? चलिए इस आर्टिकल के जरिए हम आपको उन वजहों से रूबरू करवाते हैं।
सूरज की रोशनी में कम समय बिताना
विटामिन-डी का मुख्य स्रोत सूरज की रोशनी है। जब हमारी त्वचा सूर्य के किरणों से संपर्क में आती है, तो यह विटामिन-डी का उत्पादन करती है। लेकिन आजकल की लाइफस्टाइल के कारण हम अक्सर सूरज की रोशनी में कम समय बिताते हैं। ऑफिस या घर के अंदर ज्यादा समय बिताना और धूप से बचने के लिए सनस्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल करने से भी विटामिन-डी का स्तर कम हो सकता है।
डाइट में विटामिन-डी शामिल न करना
विटामिन-डी को अपनी डाइट में शामिल करना भी जरूरी है। मछली, मशरूम, अंडे और मिल्क प्रोडक्ट्स विटामिन-डी के अच्छे स्रोत हैं। लेकिन अगर आप इन फूड आइटम्स को कम खाते हैं या उन्हें पर्याप्त मात्रा में नहीं खाते हैं, तो विटामिन-डी की कमी हो सकती है। कुछ फूड आइटम्स में विटामिन-डी को अलग से मिलाया जाता है, यानी फॉर्टिफाई करके बेचा जाता है। जैसे- दूध, संतरे का रस और अनाज आदि। इन विकल्पों को डाइट में शामिल करना भी विटामिन डी की कमी को दूर करने में मदद कर सकता है।
हेल्थ कंडीशन
कुछ मेडिकल कंडिशन विटामिन-डी के अब्जॉर्प्शन या उत्पादन में बाधा डाल सकती हैं। उदाहरण के लिए, सीलिएक रोग, क्रॉन्स डिजीज और कुछ प्रकार का मोटापा भी विटामिन-डी की कमी से जुड़े हैं। कुछ दवाएं भी विटामिन-डी के अब्जॉर्प्शन को प्रभावित कर सकती हैं, जैसे कि एंटी-सीजर दवाएं, स्टेरॉयड और कुछ प्रकार के वजन कम करने वाली दवाएं।
उम्र और त्वचा का रंग
उम्र बढ़ने के साथ हमारी त्वचा की विटामिन-डी बनाने की बनाने की क्षमता कम होती जाती है। इसके अलावा, त्वचा का रंग भी एक फैक्टर है। डार्क स्किन कलर के लोगों में स्किन को विटामिन-डी बनाने के लिए हल्की रंग की त्वचा की तुलना में ज्यादा समय सूरज की रोशनी में बिताना पड़ता है।