शाहजहांपुर की जिला जेल में 29 मुस्लिम बंदियों ने नवरात्रि का व्रत रख रखा है. सांप्रदायिक सद्भाव की इससे बड़ी मिसाल कहीं नहीं हो सकती जो चर्चा का विषय बना हुआ है.
उत्तर प्रदेश का शाहजहांपुर अमर शहीद अशफाक उल्ला खान और रामप्रसाद बिस्मिल की धरती है. यहां गंगा जमुनी तहज़ीब की हवा सालों से बहती आ रही है. इस कड़ी में शाहजहांपुर की जिला जेल में 29 मुस्लिम बंदियों ने नवरात्रि का व्रत रख रखा है. सांप्रदायिक सद्भाव की इससे बड़ी मिसाल कहीं नहीं हो सकती. मुस्लिम कैदियों द्वारा नवरात्रि व्रत रखे जाने की खूब चर्चा हो रही है.
शाहजहांपुर जिला कारागार में सभी जाति एवं संप्रदाय के लोग पूर्ण सद्भाव के साथ नवरात्रि का त्यौहार मना रहे हैं. हिंदू संप्रदाय के पुरुष एवं महिला बंदी पूर्ण भक्ति भाव के साथ नवरात्रि व्रत रखे हुए हैं और इसके साथ ही अन्य संप्रदाय के लोग उनका पूर्ण सहयोग कर रहे हैं. दिलचस्प बात है कि सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी नवरात्रि व्रत किया है.
मुस्लिम बंदियों ने भी रखा नवरात्रि का व्रत
इस बारे में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि उनका कहना था कि दुनिया में हर इंसान का एक ही भगवान है. हम अपने विश्वास और चलन के अनुसार उनके अलग-अलग रूप मानकर उनकी पूजा करते हैं. हम इसी सर्व धर्म सम्भाव एवं एक ही शक्ति की मान्यता के आधार पर नवरात्रि का व्रत रखे हुए हैं.
जेल में जिन 29 मुस्लिम बंदियों ने नवरात्रि व्रत किया है उनके नाम हैं- मोहम्मद रजी, दानिश, लड्डन, जहीर, मोहम्मद दाऊद, कामिल बसीम, वकील, शाहिद साद अली, जीशान, मुख्तार इरशाद, तैयब, शान मोहम्मद, मुश्ताक, रुखसार, लड्डन, सहरोज, जबर शेर, अबरार, सद्दाम, रुखसार, कबीर, इरशाद अली, वारिस, सज्जाद मोहम्मद सलीम और इमरान.
इस बार कारागार में 200 से ज्यादा कैदियों ने नवरात्रि व्रत किया है. जिसमें 17 महिला बंदी भी शामिल हैं. नवरात्रि के सुबह शाम पूजा के भी इंतज़ाम किए गए हैं. जेल में पूजा-भजन कीर्तन की आवाज आती रहती है. संपूर्ण जेल में इन दिनों भक्ति का वातावरण हैं. व्रत रखने वाले क़ैदियों के लिए व्रत के भोजन का भी इंतजाम किया गया है. जिसमें हरेक बंदी को 750 ग्राम उबला हुआ आलू, आधा किलो दूध एवं 50 ग्राम चीनी उपलब्ध कराई गई है.
जेल में पूजा पाठ के लिए भजन की किताबें, पूजा की सामग्री और वाद्य यंत्र उपलब्ध कराए गए हैं. उन्होंने जेल में देवी-देवताओं की तस्वीरें भी दी है ताकि वो अपना त्योहार मना सकें.