
राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ को पूरे देश में आगामी एक वर्ष तक स्मरणोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालय भी विविध कार्यक्रमों के माध्यम से मना रहे हैं। इसी कड़ी में 17 नवम्बर, 2025 को दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् गायन उत्सव का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. योगेश सिंह, विश्वाविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणी एवं रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, महाविद्यालय के चेयरमैन प्रो. डी. एस. चौहान और प्राचार्या प्रो. भावना पाण्डेय ने अपने विचार प्रस्तुत किये।अपने उद्बोधन में प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि वंदे मातरम् भारत की राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक गौरव और देशभक्ति के उत्कर्ष का प्रतीक है। यह एक कालजयी कृति है, जिसका भारतीय इतिहास में अप्रतिम महत्त्व है। उन्होंने बताया कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होना केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि इसके ऐतिहासिक योगदान को सम्मान देने वाली एक राष्ट्रीय पहल है। प्रो. सिंह ने यह भी कहा कि हमें बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का भी स्मरण करना चाहिए, जिनकी इस रचना ने सम्पूर्ण देश में स्वतंत्रता आंदोलन में क्रांति की ज्वाला प्रज्वलित की। उन्होंने राष्ट्र गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उसके प्रभाव पर विस्तार से बात की।

प्राचार्या प्रो. भावना पाण्डेय ने महाविद्यालय के गौरवशाली अतीत का उल्लेख करते हुए वंदे मातरम् में निहित राष्ट्रप्रेम की भावना को अपने शब्दों में अभिव्यक्त किया। महाविद्यालय के चेयरमैन प्रो. डी. एस. चौहान ने भी राष्ट्रीय गीत के महत्त्व और स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रीय चेतना जगाने में उसकी महती भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में दयाल सिंह महाविद्यालय के प्राचार्या प्रो. वी. के पालीवाल जी की भी उपस्थिति रही।




