
निर्माण गुणवत्ता और विभागीय लापरवाही के कारण शैक्षिक संस्थानों की हालत जर्जर होती जा रही है। इसका ताजा उदाहरण है राजकीय आदर्श प्राथमिक पाठशाला ज्योली देवी का भवन। यहां प्रथम मंजिल को अनसेफ घोषित किया जा चुका है, इसके बावजूद विद्यार्थियों की कक्षाएं धरातल पर खतरे के साये में चल रही हैं।
करीब दो दशक पहले पंचायत ने स्कूल भवन की पहली मंजिल का निर्माण कराया था, जबकि धरातल का निर्माण शिक्षा विभाग ने करवाया था। विभागीय अधिकारियों ने इसे एक वर्ष पहले अनसेफ घोषित कर दिया था, इसके बावजूद इसे अभी तक गिराया नहीं जा सका है। भवन की छत से सीमेंट पूरी तरह उखड़ चुका है और तेज बारिश और अंधड़ के बीच भवन की छत कभी भी गिर सकती है। जर्जर भवन में कक्षाएं चलाना बच्चों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा जोखिम बन चुका है, लेकिन अधिकारी बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं।
उधर, पंचायत के उपप्रधान अमर चंद ने बताया कि पंचायत की ओर से भवन का कार्य वर्षों पहले करवाया गया था। उसके बाद इसकी देखरेख और मरम्मत का जिम्मा स्कूल प्रबंधन को सौंपा गया था।
59 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं स्कूल में
स्कूल में प्री-प्राइमरी से लेकर पांचवीं कक्षा तक कुल 59 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। वर्ष 2023 तक यह संख्या 100 के आसपास थी, लेकिन अब सुरक्षा के अभाव में अभिभावक बच्चों को यहां भेजने से कतरा रहे हैं। बार-बार यह शिकायत की जा रही है कि स्कूल में सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं और भवन की छत बारिश और तूफान के कारण कभी भी गिर सकती है। इसके बावजूद भवन को डिस्मेंटल करने का काम अब तक शुरू नहीं हुआ है।