‘हिमाचल का अस्तित्व खतरे में’? सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी, पर्यावरण संरक्षण पर जोर

हिमाचल प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट ने तारा देवी हिल को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित करने के फैसले को सही बताया. हिमाचल सरकार से पर्यावरण संरक्षण के लिए और ठोस कदम उठाने की जरूरत बताई. हिमाचल प्रदेश के अस्तित्व को बचाना है तो प्रदेश सरकार को पर्यावरण संरक्षण के लिए और बल देने की आवश्यकता है, क्योंकि आज की तारीख में हिमाचल प्रदेश हरित राज्य के बजाय कंक्रीट का जंगल बनता हुआ नजर आ रहा है, जिसके चलते जलवायु परिवर्तन भी देखने को मिल रहा है और बेमौसमी भारी बरसात भी हो रही है.

हिमाचल प्रदेश महा अधिवक्ता अनुप रत्न ने कहा कि तारा देवी ग्रीनफील्ड एरिया के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को बहुत बढ़िया बताया है और यह कहा है कि प्रदेश सरकार ने जो यह कदम उठाया है, देरी से ही सही परंतु दुरुस्त कदम उठाया गया है. प्रदेश सरकार ने 6 जून 2025 को कतरादेवी हल, जो पूरा पहाड़ है, उसको अधिसूचना जारी कर नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया है.

हिमाचल सरकार से 118 क्षेत्र के तहत परमिशन मांग रहे थे

पहले भी हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने त्रिदेवी मंडी के आसपास के अवैध निर्माण को लेकर कड़ा संज्ञान लिया था. यह झगड़ा काफी समय से चल रहा था. 15 होटल एवं रिजॉर्ट एक होटल एंड रिजॉर्ट बनाने के लिए हिमाचल सरकार से 118 क्षेत्र के तहत परमिशन मांग रहे थे.

जब वह परमिशन के लिए मामला आया, वह मामला हाई कोर्ट से होते हुए गया था, तो प्रदेश सरकार ने इस बात का संज्ञान लिया कि यदि तारा देवी पहाड़ पर इस तरह से होटल एवं रिजॉर्ट बनाने की अनुमति दे दी गई, तो कल को वह क्षेत्र पूरी तरह से खत्म हो जाएगा और पूरा जंगल तथा हरित क्षेत्र पूरी तरह से नष्ट हो सकता है.

‘त्रिदेवी पहाड़ को बचाने के लिए सख्त कदम उठाएं’

इस बात को लेकर हाई कोर्ट ने इन तमाम मामलों पर रोक लगाने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी. धारा के तहत जो अनुमति दी गई थी, उसे रद्द करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. हाई कोर्ट में भी यह बात रखी गई थी कि तारा देवी पहाड़ हरित क्षेत्र है, इसके बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने की गुहार लगाई गई है.

त्रिदेवी पहाड़ को बचाने के लिए सख्त कदम उठाने की भी मांग की गई. पहले ही सुनवाई में, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने तारा देवी पहाड़ की सुरक्षा को देखते हुए इस अधिसूचना को रद्द कर दिया. उसके पश्चात जब मैसेज प्रिंसटन होटल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस मामले को उठाया, तो सुप्रीम कोर्ट ने पहली ही सुनवाई में उनकी याचिका को रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने 6 जून 2025 के फैसले के साथ-साथ धारा 118 के फैसले को चुनौती दी थी.

हिमाचल प्रदेश में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट भी लगाए जा रहे

उसे सुप्रीम कोर्ट ने पहली ही सुनवाई में खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने पर्यावरण को बचाने के लिए एक अच्छा कदम उठाया है, लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार को पर्यावरण को बचाने के लिए और भी ज्यादा कदम उठाने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट भी लगाए जा रहे हैं, और लगातार फोरलेन का भी निर्माण किया जा रहा है. पेड़ों को काटा जा रहा है, और बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है. ऐसे में, ऐसे प्रोजेक्ट्स के जरिए हिमाचल प्रदेश की इकोलॉजी को केवल राजस्व लाभ के लिए समाप्त नहीं किया जाना चाहिए.

हजारों पेड़-पौधे वन संरक्षण के रूप में लगाए जाएंगे

इस कारण, इस मामले का कड़ा संज्ञान लेते हुए यह भी कहा गया कि प्रदेश सरकार को और भी अधिक कदम उठाने की आवश्यकता है. इस अवसर पर न्यायालय को यह भी बताने की कोशिश की गई कि मात्र तारा देवी हिल ही नहीं, बल्कि शिमला शहर के आसपास और भी क्षेत्र हैं, जिन्हें हिमाचल प्रदेश सरकार से हरित क्षेत्र घोषित किया गया है.

वहीं, सबसे पहले अभी हाई कोर्ट को यह बताने की कोशिश की गई कि प्रदेश सरकार से पौधारोपण को लेकर नई नीति लाई जा रही है, जिसमें हजारों पेड़-पौधे वन संरक्षण के रूप में लगाए जाएंगे. इसे लगाने के लिए समाज की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है.

‘हिमाचल प्रदेश लुप्त होता हुआ आ सकता है’

परंतु हाई कोर्ट ने कहा कि जो कदम प्रदेश सरकार उठा रही है, मुख्य सचिव उन कदमों को और हिमाचल प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे क्या कदम उठाने जा रही है, उनके बारे में एक हेल्प नंबर नहीं, बल्कि एक हल्पनामा (affidavit) दायर किया जाए.

मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त 2025 को होनी है. उसी दिन तमाम बातों को स्पष्ट किया जाएं. वहीं, इन कदमों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि आज की तारीख में हिमाचल प्रदेश को पर्यावरण के लिए सुरक्षित नहीं किया गया, तो आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश लुप्त होता हुआ नजर आ सकता है.

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