हादसे में घायल को जल्द अस्पताल पहुंचाने के लिए उठाएंगे कदम, दिल्ली परिवहन विभाग योजना पर कर रहा काम

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय और सेवलाइफ फाउंडेशन के सेंटर फॉर एडवांसमेंट ऑफ रोड ट्रैफिक सेफ्टी (सीएआरटीएस) की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट टूवर्ड्स जीरो फैटलिटी डिस्ट्रिक्ट के आधार पर दिल्ली में योजना तैयार की जाएगी।

राजधानी में सड़क हादसों में वाली मौतों को कम करने के लिए कवायद शुरू की गई है। इसके लिए दिल्ली परिवहन विभाग की ओर से टूवर्ड्स जीरो फैटलिटी डिस्ट्रिक्ट प्लान को लागू किया जाएगा। इसमें दुर्घटना में घायल को कम से कम समय में चिकित्सा सहायता प्रदान करने और सूचना मिलने के बाद एंबुलेंस के रिस्पांस टाइम को बेहतर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, सड़क हादसों में मृत्यु दर कम करने के लिए घायल को तुंरत चिकित्सीय देखभाल की जरूरत होती है। इसके लिए जरूरी है कि एंबुलेंस का रिस्पांस टाइम अच्छा हो। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय और सेवलाइफ फाउंडेशन के सेंटर फॉर एडवांसमेंट ऑफ रोड ट्रैफिक सेफ्टी (सीएआरटीएस) की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट टूवर्ड्स जीरो फैटलिटी डिस्ट्रिक्ट के आधार पर दिल्ली में योजना तैयार की जाएगी। इसमें प्रत्येक जिले में मौजूद सभी एंबुलेंस का मानचित्रण किया जाएगा। भले ही एंबुलेंस उसी जिले के आरटीओ में पंजीकृत हो या नहीं।

यह डाटा मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और यातायात अधिकारियों के साथ त्वरित कार्रवाई के लिए साझा किया जाएगा। दिल्ली में अधिकतर घातक सड़क हादसे देर रात और तड़के होते हैं। इस दौरान अस्पताल में आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था और एंबुलेंस आदि को अधिक सतर्क रहने पर भी जोर दिया जाएगा। फिलहाल, योजना प्राथमिक स्तर पर है। इसे जल्द लागू करने के लिए तैयारी की जा रही है।

सुधार कार्य शुरू
परिवहन विभाग ने हाई रिस्क कॉरिडोर दिल्ली गेट, मधुबन चौक, आईएसबीटी कश्मीरी गेट, पुश्ता उस्मानपुर व मुकरबा चौक पर डब्ल्यूआरआई इंडिया से मिलकर सुधार कार्य भी शुरू किया है।

10 मिनट में अस्पताल पहुंचाने पर है जोर
योजना के तहत परिवहन विभाग दुर्घटना होने के बाद सूचना मिलने पर घायल को 10 मिनट के भीतर अस्पताल पहुंचाने पर जोर है। अधिकारियों ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, किसी भी घटना आदि होने पर आदर्श प्रतिक्रिया समय आठ मिनट से कम का है। इसे प्लेटिनम 10 मिनट भी कहा जाता है। साथ ही एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू गोल्डन आवर भी है। इसमें यह देखा जाता है कि दुर्घटना में घायल को 60 मिनट के भीतर चिकित्सा देखभाल मिलनी ही चाहिए।

1571 लोगों की हुई मौत
साल 2022 में हुए सड़क हादसों में दिल्ली में 1571 लोगों की मौत हुई। एक अध्ययन में दिल्ली सरकार ने बताया है कि सबसे ज्यादा हादसे ऑफ ऑवर यानी रात के नौ बजे से लेकर सुबह के दो बजे तक होते हैं। इन हादसों में मरने वाले सर्वाधिक पुरुष होते हैं। इसमें सबसे ज्यादा मौत पैदल चलने वालों की होती है। दोपहिया सवार दूसरे नंबर पर हैं।

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