हाईकोर्ट ने भवन निर्माण की ‘गति और गुणवत्ता’ पर उठाए सवाल, सरकार से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की
अदालत ने राज्यभर के सिविल कोर्ट में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में स्वतः संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान अदालत ने जिला अदालतों के भवन निर्माण कार्य की प्रगति पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने विभिन्न जिलों में बन रहे कोर्ट रूम की स्थिति का विस्तृत ब्योरा तलब किया है।

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता सुमित गाडोदिया ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार को न्यायालय भवन निर्माण के लिए आवश्यक फंड प्राप्त हो रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि गोड्डा में 48 और गिरिडीह में 61 कोर्ट रूम का निर्माण कार्य चल रहा है।

इस पर अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि गुमला में भी कोर्ट भवन का निर्माण हो रहा है, लेकिन वहां कार्य की गति और गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है। कोर्ट ने इस संबंध में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से आवश्यक निर्देश प्राप्त कर स्थिति से अवगत कराने को कहा।

खंडपीठ ने राज्य के जिन-जिन जिलों में कोर्ट रूम का निर्माण कार्य चल रहा है, उनका वर्तमान स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया था। उस दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया था कि न्यायालय भवनों के लिए केंद्र सरकार से प्राप्त राशि का आवंटन कर दिया गया है।

उन्होंने यह भी जानकारी दी थी कि धुर्वा में प्रस्तावित झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) के भवन के लिए हाई कोर्ट को पत्र लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि नया भवन बनने के बाद पुराना न्याय सदन राज्य सरकार को वापस कर दिया जाएगा।

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