
हरियाणा कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक डिजिटल बदलाव की तैयारी कर रहा है। फसलों का अब डिजिटल सर्वे कराया जाएगा। इतना ही नहीं, किसानों का पूरा रिकॉर्ड एक ही डिजिटल प्लेटफार्म पर होगा।
किसान-रजिस्ट्री (एग्रीस्टैक) और डिजिटल क्रॉप सर्वे को योजना की अंतिम रूप दिया जा रहा है। हरियाणा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल के निदेश पर यह योजना तैयार की गई है।
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की जिन आयुक्त डॉ. सुमिता मिश्रा वडिंग ने शुक्रवार को समीक्षा बैठक में बताया कि लगभग एक करोड़ 78 लाख नंबर्स खंडों पर टीमों को सक्रिय करने की पूरी तैयारी है।
किसान-रजिस्ट्री कैसे एक जनवरी और डिजिटल क्रॉप सर्वे एक फरवरी से शुरू होगा। इससे किसानों और उनकी फसलों का एकीकृत, सटीक और पारदर्शी डेटा आधार तैयार होगा।
20 दिसंबर तक तीन प्रमुख एप्लिकेशन का सुरक्षा ऑडिट पूरा होना है। परियोजना की साप्ताहिक, दैनिक और मासिक-तीन स्तर की समीक्षाराजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की वित्त आयुक्त डा. सुमिता मिश्रा वडिंग ने एग्रीस्टैक को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक करती हुईं।
राजस्व एवं आपदा विभाग सभी आवश्यक डेटा केंद्रीय प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट के साथ साझा कर चुका है। डिजिटल क्रॉप सर्वे पोर्टल अभी तक चालू नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि किसान-रजिस्ट्री पोर्टल 17 दिसंबर तक पूर्ण रूप से कार्यात्मक होना चाहिए।
तीन प्रमुख एप्लिकेशन-सुमेरु संचालन, किसान पंजीकरण और रजिस्ट्रेशन 20 दिसंबर तक सुरक्षा ऑडिट पूरा कर ए स्टार पर उपलब्ध करा दिए जाने चाहिए। सर्वे आफ इंडिया को शेष गांवों की ज्योमेट्री भी 16 दिसंबर तक जमा करने के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ. मिश्रा ने स्पष्ट किया कि1 करोड़ 78 लाख भूमि खंडों पर होगी सर्वे टीमों की तैनाती1 जनवरी से शुरू किया जाएगा किसान-रजिस्ट्री शिविर1 फरवरी से शुरू होगा डिजिटल क्रॉप सर्वे, फिर मिलेगा लाभ 1 दिसंबर तक किसान-रजिस्ट्री पोर्टल पूर्ण रूप से कार्यात्मक करने का लक्ष्य16 तक बचे गांवों की भीमा जमा कराए सर्वे आफ इंडियाकिसान-रजिस्ट्री साथी पीएम-किसान योजना से जुड़ी होगी।
किसान पंजीकरण के लेखों को समय पर पूरा करना अनिवार्य है। फील्ड स्टाफ जैसे पटवारी, कृषि पर्यवेक्षक और अन्य टीमों तथा किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए समिति हेल्प डेस्क स्थापित किया जाए।गेहूं, सरसों, चना व सूरजमुखी की फसलों का बीमा करा सकेंगे।
हरियाणा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत रबी फसलों का बीमा शुरू हो चुका है। किसान गेहूं, सरसों, चना और सूरजमुखी की फसलों का बीमा कराने के लिए 31 दिसंबर तक आवेदन कर सकते हैं।
प्राथमिक आपदाओं से फसलों को नुकसान की स्थिति में किसानों को आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कारगर रही है। इससे किसानों का जोखिम कम हुआ है।
किसान के बीमित राशि का सिर्फ 1.5 प्रतिशत हिस्सा देना होगा, जबकि शेष प्रीमियम का भुगतान राज्य व केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। बीमा के बाद बेमौसमी बारिश, ओलावृष्टि व जलभराव से खड़ी फसल में नुकसान होने पर क्लेम राशि स्तर पर देय होगा। गांव में किसी फसलकिसानों को देना होगा नाममात्र प्रीमियमफसल कुल बीमित राशि किसान द्वारा देय
फसल (प्रति एकड़) राशि 1 (रुपये प्रति एकड़) राशि 2 (रुपये प्रति एकड़)
गेहूं 32,323.80 487.86
चना 15,966.31 239.79
जौ 20,727.21 310.91
सरसों 21,829.57 327.44
सूरजमुखी 22050.13 रुपये 330.75 रुपये की औसत पैदावार पूर्व निर्धारित सीएचसी केंद्र (उन सेवा केंद्र) के पैदावार से कम होने पर क्लेम राशि के सभी बीमित किसानों को मिलेगा।
फसल कटाई के 14 दिन में फसल सूखने पर भी क्लेम राशि स्तर पर देय होगी। बीमा कराने के लिए किसान आधार कार्ड, बैंक पासबुक, स्वघोषणा भूमि रिकॉर्ड/जमाबंदी, बुवाई प्रमाण पत्र तथा “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” संदेश संबंधित बैंक यासोयाबीन केंद्र (उन सेवा केंद्र) के पैदावार से कम होने पर क्लेम राशि के सभी बीमित किसानों को मिलेगा।
फसल कटाई के 14 दिन में फसल सूखने पर भी क्लेम राशि स्तर पर देय होगी। बीमा कराने के लिए किसान आधार कार्ड, बैंक पासबुक, स्वघोषणा भूमि रिकॉर्ड/जमाबंदी, बुवाई प्रमाण पत्र तथा “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” संदेश संबंधित बैंक यादिसंबर तक कृषि क्षेत्र में फसल परिवर्तन करवा सकते हैं।



