हरियाणा: जमीन से अवैध ताैर पर पानी निकाल रहीं 40 कंपनियां होंगी बंद

हरियाणा की 40 कंपनी जमीन से अवैध रूप से पानी निकालने की दोषी पाई गई हैं। इन कंपनियों के मालिक ट्यूबवेल लगाकर भूजल का दोहन करने में जुटी थी। किसी के पास भूजल इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी। ये कंपनियां ट्यूबवेल लगाकर भूजल का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रही थी।

हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण ने अब इन सभी 40 कंपनियों को बंद करने के निर्देश जारी किए हैं। इनमें सबसे ज्यादा कंपनियां रियल एस्टेट, खनन और ट्रांसपोर्ट जुड़ी कंपनियां हैं। इनमें से अधिकतर कंपनियां गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत की हैं। प्राधिकरण ने संबंधित उपायुक्तों को इन कंपनियों को बंद कर अनुपालन रिपोर्ट मांग ली है।

हरियाणा में 88 ब्लॉक रेड जोन में
हरियाणा में भूजल की स्थिति ठीक नहीं है। 88 ब्लॉक रेड जोन में है। इन जोन में अत्याधिक दोहन किया जा रहा है। कुछ शहरों की ऐसी स्थिति है कि सिर्फ 50 साल के लिए ही पानी बचा है। ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कई बार राज्य सरकार व प्राधिकरण को इसमें रोक लगाने के निर्देश दिए हैं।

प्राधिकरण ने साल 2021 में भूजल का इस्तेमाल करने वाले उद्योगों को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना अनिवार्य किया था। आवेदन के साथ एक फीस देनी होती है और टेलीमीट्ररी इंस्टाल किया जाता है, जिससे पता चलता है कि कितना पानी निकाला गया और उसके मुताबिक फीस देनी होगी। प्राधिकरण की ओर से कई बार इंडस्ट्री को पब्लिक नोटिस देकर चेताया भी गया कि एनओसी लें, मगर इंडस्ट्री के मालिकों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

भूजल निकालने के लिए नहीं ली थी अनुमति
प्राधिकरण ने इसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया था, जिसने संयुक्त निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट दी थी। इसमें प्राधिकरण के हाइड्रोलॉजिस्ट, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी शामिल थे। जांच में पाया गया कि 40 इंडस्ट्री मालिकों ने भूजल निकालने के लिए अनुमति नहीं ली थी। हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण की चेयरपर्सन केशनी आनंद अरोड़ा ने बताया, इंडस्ट्री को भूजल दोहन की अनुमति नहीं है। इसके लिए उन्हें अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी है। कई इंडस्ट्री को पता है, इसके बावजूद वे एनओसी नहीं ले रही हैं। ऐसे में कड़ा कदम उठाना जरूरी है। इन सभी इंडस्ट्री को बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।

चार कंपनियों को करोड़ों रुपये का मुआवजा देने के निर्देश
हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण ने नियमों का उल्लंघन करने पर पर्यावरण मुआवजा भी वसूलती है। पिछले महीने चार बड़ी कंपनियों पर करोड़ों रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। इसके मुताबिक नई दिल्ली स्थित कॉमर्शियल कॉलोनी प्रोजेक्ट पर एक करोड़ 21 लाख 85 हजार 880 रुपये, गुरुग्राम स्थित रामप्रस्थाता प्रमोटर्स व डेवलेपर्स पर एक करोड़ तीन लाख 22 हजार, फरीदाबाद स्थित कंट्रीवाइड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड पर दो करोड़ 11 लाख 95 हजार 216 रुपये, गुरुग्राम स्थित नियो सेंट्रा एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड से 44 लाख 28 हजार पर्यावरण मुआवजा वसूलने के निर्देश दिए हैं। चारों कंपनियां भूजल की दोषी पाई गई थी।

Related Articles

Back to top button