
यह सही है कि स्त्रियां अपनी सेहत को लेकर अपेक्षाकृत कम जागरूक रहती हैं। इसे दूर करने का सरल उपाय है कि उन्हें बचपन से ही अच्छी सेहत के महत्व के बारे में बताया जाए। हमें समझना होगा कि बीमारियां किसी भी उम्र में हो सकती हैं।
लेकिन पहले से ही अगर हम अस्वस्थ हैं या अच्छे खानपान और व्यायाम की आदत नहीं है, तो 50 की उम्र के बाद बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है। जीवनशैली के अलावा जैवकीय, हार्मोन से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। मेनोपोज के बाद हृदय रोग, डायबिटीज, आर्थराइटिस, सांस की समस्याओं के साथ एनीमिया का खतरा अधिक रहता है।
हम स्वस्थ नारी सशक्त देश की बात कर रहे हैं तो इस परिप्रेक्ष्य में देखना होगा कि आज बड़ी संख्या में महिलाएं एनीमिया से जूझ रही हैं। यह शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की समस्या है। शारीरिक गतिविधि की कमी, वजन बढ़ने और खानपान में लापरवाही ने सर्वाइकल व ब्रेस्ट कैंसर आदि के जोखिम बढ़ा दिए हैं, इसलिए सेहतमंद रहने आदत डालनी होगी।
इन बातों का रहे ध्यान
हीमोग्लोबीन 12 वर्ष की उम्र में 12 रहे, यह लक्ष्य रखें ताकि प्रजनन की उम्र तक लड़कियां स्वस्थ रहें और आगे की चुनौती कम हो सके।
बीस की उम्र तक कैल्शियम, प्रोटीन व अन्य जरूरी पोषक तत्व का सेवन करें, ताकि आगे सेहत का मजबूत आधार बने ।
20 से 30 की उम्र तक हड्डियों का निर्माण होता है, इसलिए कैल्शियम और अन्य पोषण के साथ अपना बोन बैंक तैयार करें ताकि मेनोपोज के बाद तेजी से क्षीण होने वाले कैल्शियम की कमी से होने वाली कठिनाई कम से कम हो ।
उचित पोषण के साथ खेलकूद, कसरत व योग के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ।
50 की उम्र के बाद बीमारियों का जोखिम पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, पर स्वास्थ्य प्रतिरोधक क्षमता व स्वस्थ रहकर उनका मुकाबला करना आसान हो सकता है।
लगभग 80 प्रतिशत महिलाओं को विटामिन-डी की कमी होती है, यह ध्यान रहे ।
कैंसर से बचाव के लिए सबसे सरल उपाय है जागरूकता व जांच । सर्वाइकल कैंसर के साथ अन्य कैंसर से भी बचाव करता है
एपीवी वैक्सीन इसे 9 – 14 साल की उम्र तक लगाना सुनिश्चित करें।
जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी हो वे कैंसर स्क्रीनिंग जरूर कराएं। ओवेरियन कैंसर तीसरे चरण में अक्सर पता चलता है। इससे बचाव के लिए पेल्विस अल्ट्रासाउंड वर्ष में एक बार अवश्य कराएं।
यदि परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास है तो 25 वर्ष की उम्र के बाद लड़कियों को इसे लेकर जागरूक होने की जरूरत होती है।