सेना प्रमुख ने बताया : ऑपरेशन सिंदूर’ में पाक कैसे घुटनों पर आया

थल सेना प्रमुख (सीओएएस) जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आईआईटी मद्रास में भारतीय सेना अनुसंधान प्रकोष्ठ (आईएआरसी) ‘अग्निशोध’ का उद्घाटन किया। यह रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका मकसद एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, वायरलेस संचार और मानवरहित प्रणालियों जैसे उभरते क्षेत्रों में सैन्य कर्मियों को कुशल बनाना है। इससे एक तकनीक-सक्षम बल तैयार करने में मदद मिलेगी।

इस दौरान सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर- आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नया अध्याय’ पर संकाय और छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने इसे सैद्धांतिक बदलाव के तहत अहम कदम बताया। उन्होंने इसे एक सुनियोजित और खुफिया-आधारित अभियान बताया। उन्होंने भारत की सक्रिय सुरक्षा स्थिति को मतबूत करने में स्वदेशी तकनीक और सटीक सैन्य कार्रवाई की भूमिका का भी जिक्र किया। उन्होंने अकादमिक उत्कृष्टता के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए आईआईटी संकाय की भी सराहना की।

ऑपरेशन सिंदूर को समझाने के लिए शतरंज का उदाहरण
आईआईटी मद्रास में एक संबोधन के दौरान उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को समझाने के लिए शतरंज का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर में हमने शतरंज खेला। हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी और फिर हम क्या करने वाले हैं। इसे ग्रे जोन कहते हैं। ग्रे जोन का मतलब है कि हम पारंपरिक ऑपरेशन नहीं कर रहे हैं। हम जो कर रहे हैं, वह पारंपरिक ऑपरेशन से थोड़ा कम है। हम शतरंज की चालें चल रहे थे। दुश्मन भी शतरंज की चालें चल रहा था। कहीं हम उन्हें शह और मात दे रहे थे, तो कहीं हम अपनी जान जोखिम में डालकर भी आगे बढ़ रहे थे, लेकिन यही तो जिंदगी है।’

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