सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू बोले- किसी क्षेत्र से भेदभाव नहीं

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार किसी भी विधानसभा क्षेत्र के साथ भेदभाव नहीं कर रही है। केंद्र सरकार भी राज्यों से टैक्स एकत्र कर पैसा देती है। शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान नाबार्ड की योजनाओं में पक्षपात करने और प्राथमिकता से मंजूरी नहीं देने का भाजपा विधायकों ने सरकार पर आरोप लगाया। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड की ऋण सीमा तय है। हिमाचल की भौगोलिक चुनौतियों और 67 फीसदी भूमि वन क्षेत्र में आने के कारण परियोजनाओं को मंजूरी दिलाने में समय लगता है। सरकार हर स्तर पर ईमानदारी से प्रयास कर रही है। उन्होंने विधायकों से नाबार्ड के तहत इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का प्रस्ताव आने पर इसे प्राथमिकता देने का आश्वासन भी दिया।

विधानसभा में शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने सरकार को नाबार्ड योजनाओं के लंबित पड़े प्रस्तावों पर घेरा। नेता विपक्ष जयराम ठाकुर सहित विधायक रणधीर शर्मा, विनोद कुमार, सुखराम चौधरी और हंसराज ने कहा कि सरकार विपक्ष के सदस्यों के क्षेत्रों की उपेक्षा कर रही है। सरकार ने नाबार्ड में भेजी कई डीपीआर को मंजूरी नहीं दी है। विपक्षी विधायकों की योजनाओं को जानबूझकर रोका जा रहा है। रणधीर शर्मा ने कहा कि डीपीआर को वापस मंगवाना जनहित में नहीं है। वन, राजस्व और जिला प्रशासन समय रहते इस बाबत काम नहीं कर हैं। उन्होंने सभी विभागों को इसके लिए समय तय करने के निर्देश देने को कहा।

जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी सड़क की डीपीआर सरकार ने वापस नहीं ली है। श्री नयनादेवी क्षेत्र से 13 सड़कें नाबार्ड में भेजी गई थीं, जिनमें से एक को मंजूरी मिल चुकी है। वन भूमि अधिक होने से स्वीकृति की प्रक्रिया जटिल हो जाती है। ऐसे में सरकार ने यह निर्णय लिया है कि यदि निजी भूमि से सड़क निकालनी हो तो भूमि मालिक का शपथ पत्र लिया जाएगा। नाचन के विधायक विनोद कुमार ने आरोप लगाया कि उनके क्षेत्र की तीन डीपीआर 2023 से लंबित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नाचन की तीनों योजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है और फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। चुराह के विधायक हंसराज ने कहा कि तीसा उपमंडल की 87 करोड़ की उठाऊ पेयजल योजना नाबार्ड में लंबित है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि योजना का 24 करोड़ का बैलेंस बचा है और मंजूरी की संभावना कम है, फिर भी सरकार विकल्प तलाश रही है। पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी ने कहा कि उनके क्षेत्र में 10 सड़कें मंजूर हुई हैं और छह अब भी नाबार्ड में लंबित हैं। उन्होंने पूछा कि नाबार्ड की सीमा क्या है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक विधायक को पांच साल के लिए 200 करोड़ की लिमिट तय की गई है। पांवटा साहिब से आठ सड़कें नाबार्ड को भेजी गई थीं, जिनमें से दो योजनाओं को 38.34 करोड़ रुपये की मंजूरी मिल चुकी है। धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा के अनुपूरक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड की योजनाओं के तहत यदि कोई विधायक इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का प्रस्ताव देता है तो इसे प्राथमिकता के आधार पर लागू किया जाएगा।

आर्थिक संकट से गुजर रहा प्रदेश उठाए केंद्र की योजनाओं का लाभ : जयराम
नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है। नाबार्ड, वर्ल्ड बैंक और पीएमजीएसवाई जैसी एजेंसियों की मदद से ही विकास को गति मिल सकती है। केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। सराज क्षेत्र से सिर्फ एक डीपीआर भेजी गई है। मुझे टारगेट पर रखा गया है। तीन साल से विपक्षी विधायकों के क्षेत्रों में काम बंद पड़े हैं। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि सराज क्षेत्र से सात डीपीआर बनाई गईं थीं, जिनमें से एक को 4.5 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है, जबकि 27 करोड़ का बैलेंस बचा है। सरकार ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से सराज की छत्तरी-थुनाग सड़क को प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना में शामिल करने का आग्रह किया है। ऐसे में विपक्षी क्षेत्रों की अनदेखी का आरोप बिल्कुल निराधार हो जाता है।

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