केंद्र सरकार सार्वजनिक परिवहन के ढांचे को दुरुस्त करने के लिए ज्यादा से ज्यादा जोर मेट्रो सेवाओं का दायरा बढ़ाने पर लगा रही है। अगले पांच साल के विजन के तौर पर मेट्रो को 31 शहरों तक ले जाने की तैयारी है। अभी यह संख्या 21 है। मेट्रो का विकल्प महंगा होने के बावजूद भविष्य की जरूरतों को देखते हुए इसे स्थायी और भरोसेमंद रास्ता माना जा रहा है।
केंद्र सरकार सार्वजनिक परिवहन के ढांचे को दुरुस्त करने के लिए ज्यादा से ज्यादा जोर मेट्रो सेवाओं का दायरा बढ़ाने पर लगा रही है। अगले पांच साल के विजन के तौर पर मेट्रो को 31 शहरों तक ले जाने की तैयारी है। अभी यह संख्या 21 है। मेट्रो का विकल्प महंगा होने के बावजूद भविष्य की जरूरतों को देखते हुए इसे स्थायी और भरोसेमंद रास्ता माना जा रहा है।
शहरों में आबादी जिस रफ्तार से बढ़ रही है, उसे देखते हुए सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना सबसे अधिक आवश्यक है। शहरी कार्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार सबसे अधिक जोर शहरों में सार्वजनिक परिवहन को दुरुस्त करने पर है, क्योंकि जैसे-जैसे शहरों में जनसंख्या बढ़ रही है, लोगों को आवागमन भी तेजी से बढ़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए लगभग दो हजार किलोमीटर की मेट्रो लाइन बिछाने की योजना बनाई गई है।
भारत मेट्रो लंबाई में बना सकता है रिकॉर्ड
चेन्नई में एक झटके में लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर की मेट्रो परियोजनाओं को मंजूरी देना इसी कड़ी का हिस्सा है। अगले पांच साल में भारत मेट्रो लंबाई के लिहाज से अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन सकता है।
अभी मेट्रो एनसीआर, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता के अतिरिक्त आगरा, अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, कानपुर, हैदराबाद, कोच्चि, लखनऊ, मेरठ, पुणे, पटना, नवी मुंबई, नागपुर और सूरत में संचालित या निर्माणाधीन है। इसके अतिरिक्त भुवनेश्वर, गोरखपुर, कोझिकोड, नाशिक, त्रिवेंदम, राजकोट, औरंगाबाद, जम्मू और श्रीनगर तथा गुवाहाटी को मेट्रो के दायरे में लाने की चर्चा चल रही है।
ई बसें 160 से अधिक शहरों में चलाने की योजना
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने भी अपने शहरों-विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, वारंगल में मेट्रो सेवाओं के प्रस्ताव भेजे हैं। मेट्रो के प्रस्तावों में वाराणसी का आवेदन भी है, जिस पर जल्द काम शुरू हो सकता है। सार्वजनिक परिवहन के सबसे बड़े माध्यम सड़क परिवहन के लिए केंद्र सरकार बीस हजार पीएम ई बसें 160 से अधिक शहरों में चलाने की योजना पर काम कर रही है, लेकिन अभी तक इस मामले में केवल राज्यों के प्रस्तावों को ही अंतिम रूप दिया जा सका है।
इलेक्ट्रिक साधनों पर सरकार पर जोर
इस बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि यह बड़ी योजना है। इसके लिए कई शहरों में टेंडर तक आमंत्रित कर दिए गए हैं, इसलिए इसमें विलंब नहीं होना चाहिए। सरकार का जोर परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक साधनों के इस्तेमाल पर है। अगले पांच साल में सिटी बसों की संख्या 65 हजार तक पहुंच जाएगी, जो अभी 40 हजार से भी कम है। हमारी कोशिश है कि 35 प्रतिशत से अधिक सार्वजनिक परिवहन इलेक्ट्रिक मोड पर आ जाए। इससे शहरों में प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकेगी।