संसद की सुरक्षा में चूक मामला: कोर्ट ने आरोपियों से कहा- खुद की तुलना भगत सिंह से मत कीजए, दिल्ली पुलिस से पूछा- UAPA क्यों?

संसद की सुरक्षा में चूक मामले में आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने उन्हें फटकारा। कोर्ट ने कहा कि यह कोई मजाक नहीं है। यह ऐसी जगह भी नहीं है, जहां आप खुद की तुलना भगत सिंह जैसे शहीदों से कर सकें।

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को संसद भवन की सुरक्षा से खिलवाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए आरोपियों के खिलाफ सुनवाई करते हुए एक अहम टिप्पणी की। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने दिल्ली पुलिस से यह बताने को कहा कि आरोपियों पर कठोर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत दंडनीय अपराध के लिए मामला क्यों दर्ज किया गया। 

आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई

कोर्ट ने कहा कि संसद भवन भारत का गौरव है और इसके अंदर या आस-पास किसी भी तरह की शरारत नहीं की जा सकती। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि क्या यूएपीए के तहत अपराध बनता है, जिसमें जमानत के लिए सख्त प्रावधान हैं? ऐसे अन्य अधिनियम भी हो सकते हैं जिनके तहत आप आगे बढ़ सकते हैं।  इसमें कोई समस्या नहीं है। मुद्दा यह है कि क्या यूएपीए के तहत अपराध का मामला बनता है।’’ अदालत इस मामले में गिरफ्तार नीलम आजाद और महेश कुमावत की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

“उस जगह को बाधित किया, जहां देश के लिए कानून बनते हैं”

हाई कोर्ट ने पुलिस से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या संसद के अंदर और बाहर धुआं फैलाने वाला उपकरण ले जाना या उनका उपयोग करना यूएपीए के अंतर्गत आता है और क्या यह आतंकवादी गतिविधियों की परिभाषा के अंतर्गत आता है। पीठ ने कहा, “अन्यथा उनकी स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए और आप (पुलिस) मुकदमा जारी रख सकते हैं और उन्हें जमानत पर छोड़ा जा सकता है। वे केवल जमानत के लिए आवेदन कर रहे हैं।” 

अदालत ने कहा, “हम एक मिनट के लिए भी यह नहीं कह रहे हैं कि उन्होंने कोई विरोध प्रदर्शन किया है और यह विरोध का तरीका है। नहीं, यह विरोध का तरीका नहीं है और आप वास्तव में उस जगह को बाधित कर रहे हैं, जहां गंभीर काम होता है, जहां देश के लिए कानून बनाए जाते हैं।” कोर्ट ने कहा, “यह कोई मजाक नहीं है। यह ऐसी जगह भी नहीं है जहां आप खुद की तुलना भगत सिंह जैसे शहीदों से कर सकें। आप (आरोपी) खुद की तुलना उनके साथ नहीं कर सकते। फिर भी सवाल यूएपीए का है।”

दिल्ली पुलिस का तर्क और 2001 का संसद हमला

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने 13 दिसंबर की घटना का हवाला दिया, जो 2001 में संसद पर हुए हमले की भी तारीख थी और दलील दी कि यह एक पूर्व नियोजित कृत्य था और अधिकारी इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। वर्ष 2001 के संसद आतंकी हमले की बरसी पर एक बड़ी सुरक्षा चूक के तहत आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी कथित तौर पर शून्यकाल के दौरान सार्वजनिक दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए थे। उन्होंने कैन से पीली गैस छोड़ी और नारे लगाए। इसके बाद कुछ सांसदों ने उन्हें काबू कर लिया। करीब उसी समय दो अन्य आरोपियों- अमोल शिंदे और आजाद ने संसद परिसर के बाहर कथित तौर पर तानाशाही नहीं चलेगी के नारे लगाते हुए कैन से रंगीन धुआं छोड़ा था। 

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