भारत और श्रीलंका के संबंधों पर बोलते हुए विक्रमसिंघे ने एक सकारात्मक दृष्टिकोण पर जोर दिया। सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के बीच साझा बयान में भविष्य में आपसी सहयोग को बढ़ाने की बात कही गई।
Sri Lanka के राष्ट्रपति का बयान-
Sri Lanka के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारत के साथ आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया है। आपको बता दें कि श्रीलंका द्वारा आर्थिक तंगी से उबरने की कोशिश की जा रही है। इस बीच, रानिल विक्रमसिंघे अनुराधापुरा में ग्लोबल साउथ सम्मेलन के तीसरे संवाद के प्रमुखों के सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने ये बातें कहीं। सम्मेलन की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम ने की। इसके अलावा अन्य देशों के प्रमुख भी इस सम्मेलन में शामिल हुए। भारत और श्रीलंका के संबंधों पर बोलते हुए विक्रमसिंघे ने एक सकारात्मक दृष्टिकोण पर जोर दिया। सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के बीच साझा बयान में भविष्य में आपसी सहयोग को बढ़ाने की बात कही गई। इस दौरान विक्रमसिंघे ने उम्मीद जताई कि यह दृष्टिकोण श्रीलंका और भारत को मजबूत एकीकरण की ओर ले जाएगा।
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने श्रीलंका की आर्थिक साझेदारी को विस्तार देने की भी बात कही। इसके अलावा उन्होंने एशिया में श्रीलंका की रणनीतिक प्रतिबद्धता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (बिम्सटेक- BIMSTEC) पहल के माध्यम से ऐसा संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि बंगाल की खाड़ी का क्षेत्र धीरे-धीरे आर्थिक विकास का केंद्र बनता जा रहा है और इससे बिम्सटेक का महत्व भी बढ़ता जा रहा है। उन्होंने आगे कहा, ‘बिम्सटेक का सदस्य होने के नाते श्रीलंका को भारत के साथ आर्थिक एकीकरण पर जोर देने की जरूरत है। इसके अलावा श्रीलंका, जापान से लेकर भारत कर आर्थिक सहयोग समझातों को बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है।’
PM मोदी का किया आभार प्रकट-
रानिल विक्रमसिंघे ने आर्थिक तंगी के समय श्रीलंका की मदद करने के लिए पीएम मोदी और भारत के लोगों का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा, ‘श्रीलका को मुश्किल हालातों से उबारने में और देश को सही दिशा में ले जाने के लिए भारत ने उल्लेखनीय रूप से सहयोग किया है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘तीसरे वर्चुअल सम्मेलन की मेजबानी के लिए श्रीलंका, भारत का धन्यवाद देता है। यह सम्मेलन हमें एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझने में मदद करता है। हम एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गए हैं, जहां पश्चिमी देश वैश्विक नेतृत्व पर अपना दावा नहीं कर सकते। इसके अलावा पश्चिमी देशों के सामने एक समस्या खड़ी हो गई। यूक्रेन और गाजा इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इसलिए, हमें भारत के वैश्विक दक्षिण को मजबूत करने के प्रयासों की तारीफ करनी चाहिए।’
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