वडोदरा पुल हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या हुई 18, तीन साल पहले मिली थी चेतावनी, फिर भी हुई लापरवाही

वडोदरा में महिसागर नदी पर पुल ढहने से मृतकों की संख्या 18 हुई, दो लापता हैं. चार इंजीनियर निलंबित किए गए हैं. मुख्यमंत्री ने अन्य पुलों के निरीक्षण के आदेश दिए हैं. गुजरात के वडोदरा में महिसागर नदी पर बना पुल ढहने से अब तक 18 लोगों की मौत हो गई है. अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल पर सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन एक रात के लिए रोका गया. यह अभियान शुक्रवार (11 जुलाई) सुबह फिर से शुरू होगा, क्योंकि दो व्यक्ति अब भी लापता हैं.

दरअसल, बुधवार (9 जुलाई) की सुबह पादरा कस्बे के पास गंभीरा गांव में 40 साल पुराने पुल का एक हिस्सा ढह गया था. पुल पर कई वाहन थे, जो नदी में गिर गए. यह पुल आणंद और वडोदरा जिलों को जोड़ता है.

नदी में उफान के चलते रुका अभियान
वडोदरा के जिलाधिकारी अनिल धमेलिया ने जानकारी दी कि गुरुवार की रात एक और शव मिलने के साथ ही इस हादसे में मरने वालों की संख्या 18 हो गई है. दो लोग अभी भी लापता हैं. नदी में उफान के कारण बचाव अभियान रोक दिया गया है और शुक्रवार सुबह फिर से शुरू किया गया है.

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) और अन्य एजेंसियों की कम से कम 10 टीमों द्वारा पूरे दिन खोज और बचाव अभियान चलाया गया.

सीएम भूपेंद्र पटेल ने चार अभियंताओं को किया निलंबित

अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, अभी भी नदी में एक लदे ट्रक सहित कुछ वाहन फंसे हुए हैं. इसलिए जिला प्रशासन ने उन्हें बाहर निकालने के लिए इंडियन आर्मी के एक ‘हाई परफॉर्मेंस ट्रक’ का इस्तेमाल किया है. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पुल ढहने के सिलसिले में कार्रवाई करते हुए राज्य के सड़क और भवन विभाग के चार अभियंताओं को निलंबित कर दिया.

निलंबित अधिकारियों की पहचान कार्यकारी अभियंता एनएम नायकवाला, उप कार्यकारी अभियंता यूसी पटेल और आरटी पटेल तथा सहायक अभियंता जेवी शाह के रूप में की गई है. इसके अलावा, सड़क एवं भवन विभाग का प्रभार भी संभाल रहे मुख्यमंत्री पटेल ने विशेषज्ञों से पुल पर की गई मरम्मत, निरीक्षण और गुणवत्ता जांच पर एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा था और इसी रिपोर्ट के आधार पर चार अभियंताओं को निलंबित करने का निर्णय लिया गया.

बाकी पुलों का भी होगा क्वॉलिटी चेक
सीएम पटेल ने विभाग के अधिकारियों को घटना के मद्देनजर राज्य के अन्य पुलों का तत्काल गहन निरीक्षण करने का आदेश दिया है. इस बीच, अधिकारी इस बात से खुद को बचाते दिख रहे हैं कि एक सामाजिक कार्यकर्ता ने अगस्त 2022 में इस पुल की खराब स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित कराया था.

तीन साल पहले ही दी गई थी पुल खराब होने की जानकारी
पुल ढहने के बाद सोशल मीडिया मंच पर एक तीन साल पुराना ऑडियो क्लिप वायरल हो रहा है जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता लखन दरबार, जो ‘युवा सेना’ संगठन चलाते हैं, को सड़क और भवन विभाग के एक अधिकारी से पुल की मरम्मत करने या नया पुल बनाने का आग्रह करते हुए सुना जा सकता है.

लखन दरबार ने अधिकारी को बताया कि वडोदरा जिला पंचायत सदस्य हर्षदसिंह परमार ने भी विभाग को पत्र भेजकर चार दशक पहले बने पुल की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी. गौरतलब है कि जब स्थानीय मीडिया ने घटना के बाद बुधवार को विभाग के वडोदरा मंडल के कार्यकारी अभियंता नायकवाला से बात की थी, तो उन्होंने दावा किया था कि विभाग के निरीक्षण के दौरान पुल में कोई बड़ी खराबी नहीं पाई गई थी.

निलंबित अभियंता का दावा था- पुल में कोई खराबी नहीं
मुख्यमंत्री द्वारा निलंबित चार अधिकारियों में से एक नायकवाला ने कहा था, ‘‘पुल को वाहनों की आवाजाही के लिए बंद करने की कोई मांग नहीं की गई थी. हमारी रिपोर्ट के अनुसार, हमारे निरीक्षण के दौरान कोई बड़ी क्षति नहीं पाई गई. बेयरिंग कोट में थोड़ी समस्या थी, लेकिन पिछले साल ही उसकी मरम्मत कर दी गई थी.’’

गुजरात में 2021 से अब तक पुल ढहने की कम से कम छह बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं. अक्टूबर 2022 में मोरबी शहर में मच्छू नदी पर बने ब्रिटिशकालीन झूला पुल के ढह जाने से 135 लोगों की मौत हो गई थी.

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