
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारी सेनाएं और भी बहुत कुछ कर सकती थीं। इसके बावजूद उन्होंने जानबूझकर संयमित और सोची-समझी प्रतिक्रिया का विकल्प चुना। उन्होंने कहा कि सेना ने बिना तनाव बढ़ाए आतंकी खतरों को बेअसर कर दिया।
रक्षा मंत्री ने ये बातें देश के विभिन्न हिस्सों में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से पूरी की गई 125 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करने के दौरान कहीं। रक्षा मंत्री ने कहा कि कुछ ही महीने पहले हमने देखा कि कैसे पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के जवाब में हमारे सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया।
दुनिया जानती है कि किस तरह आतंकवादियों को तबाह किया गया। बेशक अगर हम चाहते तो और भी बहुत कुछ कर सकते थे लेकिन हमारे बलों ने न केवल वीरता बल्कि संयम का भी परिचय दिया। सेना ने केवल वही किया जो आवश्यक था।
रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने अपनी क्षमता और अनुशासन का शानदार प्रदर्शन किया। हमने अपने सशस्त्र बलों, नागरिक प्रशासन और सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिकों के बीच जो समन्वय देखा वह शानदार था। रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों को अपना समर्थन देने के लिए लद्दाख और सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिकों का आभार जताया। कहा- यह समन्वय ही हमारी पहचान है। हमारा आपसी जुड़ाव ही हमें दुनिया में सबसे अलग पहचान देता है।
ढांचागत सुविधाओं से मजबूत और सुरक्षित होंगे सीमावर्ती क्षेत्र: एलजी
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि बीआरओ के सड़क, पुल, टनल सबसे मुश्किल इलाकों में सैन्य गतिशीलता को बढ़ावा देंगे। इससे हमारी सेनाएं त्वरित कार्रवाई कर सकेंगी और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी। ये प्रोजेक्ट स्थानीय विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे। उपराज्यपाल समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े थे।
उपराज्यपाल ने सीमावर्ती इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और सामाजिक-आर्थिक उत्थान सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का आभार जताया। बता दें कि बीआरओ के बीकन और संपर्क प्रोजेक्ट सीमावर्ती इलाकों, खासकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सड़क नेटवर्क और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं। बीकन सबसे पुरानी परियोजनाओं में से एक है जो कश्मीर घाटी में सड़कों, जैसे अमरनाथ यात्रा मार्ग के रखरखाव और संपर्क परियोजनाएं अन्य क्षेत्रों में सामरिक कनेक्टिविटी और सुरंगों के निर्माण पर केंद्रित हैं।



