राजस्थान में सरकार के तमाम मंत्री फिलहाल तबादलों पर बैन हटने का इंतजार कर रहे हैं। नई सरकार का गठन हुए अब 8 महीने से ज्यादा हो चुके हैं। ऐसे में प्रदेश के अफसर से लेकर कर्मचारी भी ट्रांसफर की बाट जोह रहे हैं, लेकिन ब्यूरोक्रेसी के टॉप अफसरों की लिस्ट ने सबकुछ अटका रखा है।
प्रदेश की मौजूदा सरकार अफसरों और कर्मचारियों के ट्रांसफर को लेकर असमंजस में नजर आ रही है। सरकार के तमाम मंत्री तबादलों के लिए बैन हटने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, सबसे पहले ब्यूरोक्रेसी के टॉप अफसरों की लिस्ट आनी है। यहीं सरकार अटकी हुई है। हालांकि, इस सप्ताह IAS/IPS/RAS की ट्रांसफर लिस्ट आ सकती है, जिसके बाद कर्मचारी के ट्रांसफर से भी बैन खुल जाएंगे।
लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि जिस ट्रांसफर लिस्ट के महीने की शुरुआत में ही आने की चर्चा चल रही थी वह अब तक क्यों नहीं आई। राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में कई पावरफुल अफसर पिछले सरकार के समय से ही अहम पदों पर जमे हुए हैं। इसमें वित्त, कार्मिक, गृह, पर्यटन जैसे महकमें शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक तबादला सूची में हो रही देरी की बड़ी वजह भी वित्त विभाग ही है। इस महकमें के अफसरों को बरकरार रखने और बदलने के लिए दो पावर सेंटर बन चुके हैं।
ब्यूरोक्रेसी के लिए बड़ा मैसेज देने में नाकाम रही सरकार
राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी को लेकर पहली बार इतने सवाल उठ रहे हैं। सरकार की तरफ से अब तक किसी भी बड़े अफसर के खिलाफ न तो भ्रष्टाचार को लेकर कार्रवाई की गई। एसीबी की अभियोजन स्वीकृति और जांच के मामले भी सरकार में जस के तस पेंडिंग हैं। सिर्फ छोटे अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ ही सरकार की कलम चली है।
ब्यूरोक्रेसी को लेकर अब तक आए बयान
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के पास कोई पावर नहीं है और न ही किसी मंत्री के पास है। मंत्री तो अपना विशिष्ट सहायक भी अपनी मनमर्जी से नहीं लगा पा रहे हैं। साथ ही कोई विशिष्ट सहायक किसी मंत्री के यहां लग रहा है, तो उसका बार-बार तबादला हो रहा है। मुख्य सचिव सुधांश पंत ही डिफैक्टो सीएम है। चल ही उन्हीं की रही है, इसके अलावा सीएम से ज्यादा डिप्टी सीएम की पावर है।
ब्यावर से बीजेपी विधायक शंकर सिंह रावत ने अफसरशाही हावी होने पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस राज के समय से बैठे अफसरों ने कई जगह बपौती जमा रखी है। कई सरकारी कार्यालयों में कांग्रेस के कार्यकाल से अफसर बैठे हुए हैं, वहां उन्होंने ऐसे बपौती जमा रखी है कि जैसे शासन तो हम चला रहे हैं।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवी सिंह भाटी भी इससे पहले अफसरशाही के हावी होने पर सवाल उठा चुके हैं। भाटी ने पिछले दिनों कहा था कि अफसरशाही हावी है, नेता और विधायक मुख्य सचिव के यहां लाइन लगाकर खड़े रहते हैं। ब्यूरोक्रेसी हावी होने से नुकसान हुआ है। इसमें बदलाव लाया जाना चाहिए।