राजस्थान में जर्जर चिकित्सा भवनों पर लगेगा ‘प्रवेश निषेध’ बोर्ड, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए आदेश

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने कहा कि बारिश के मौसम में हादसों की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में भवनों की मरम्मत और मेंटेनेंस कार्यों को प्राथमिकता दी जाए. राजस्थान सरकार ने प्रदेश के जर्जर और मरम्मत योग्य चिकित्सा भवनों को लेकर सख्त रुख अपनाया है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के निर्देश पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्यभर में संचालित राजकीय चिकित्सा संस्थानों और स्वास्थ्य केन्द्रों का सघन निरीक्षण किया जा रहा है. जिन भवनों की स्थिति अत्यंत खराब है, वहां अब ‘जर्जर भवन-प्रवेश निषेध’ के बोर्ड लगाए जाएंगे और तत्काल प्रभाव से उन भवनों का उपयोग बंद कर दिया जाएगा.

इस संबंध में मंगलवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने साप्ताहिक समीक्षा बैठक में निर्देश दिए. उन्होंने अधिकारियों से स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्र के चिकित्सा संस्थानों का गहन निरीक्षण करें और गंभीर खामियों वाले भवनों की मरम्मत प्राथमिकता के आधार पर करवाएं. किसी भी प्रकार की लापरवाही पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.

मलेरिया और डेंगू जैसे मौसमी रोगों की समीक्षा

प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि बारिश के मौसम में हादसों की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में भवनों की मरम्मत और मेंटेनेंस कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए. उन्होंने चिकित्सा भवनों की स्थिति, मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना, आरजीएचएस, टीबी और गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग, मौसमी बीमारियों की रोकथाम और दवाओं की उपलब्धता सहित कई विषयों पर विस्तृत समीक्षा की.

इस समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि मलेरिया और डेंगू जैसे मौसमी रोगों से प्रभावित जिलों में वैक्टर बोर्न डिजीज की रोकथाम के लिए सघन स्क्रीनिंग और एंटीलार्वा गतिविधियां चलाई जाएं. सभी जिलों को निर्देशित किया गया कि वे प्रोटोकॉल के अनुसार आवश्यक तैयारियां रखें और सभी आवश्यक सामग्री समय पर उपलब्ध करवाई जाए.

टीबी मुक्त भारत अभियान

टीबी मुक्त भारत अभियान की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि जिन जिलों में स्क्रीनिंग लक्ष्य से पीछे हैं, वहां अभियान को तेज किया जाए. उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि टीबी से संबंधित सभी आंकड़े पोर्टल पर नियमित रूप से अपडेट किए जाएं और लक्षणों वाले मरीजों को तत्काल इलाज उपलब्ध कराया जाए.

इस बैठक में जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने जिलावार प्रगति की प्रजेंटेशन दी और अधिकारियों को आवश्यक सुधारात्मक उपायों पर मार्गदर्शन दिया. साथ ही निर्देश दिया गया कि बिना अनुमति कोई भी अधिकारी मुख्यालय न छोड़े और भवन मरम्मत, दवाओं की खरीद एवं उपकरणों की आवश्यकता से संबंधित प्रस्ताव तुरंत निदेशालय को भेजे जाएं.

चिकित्सा ढांचे में व्यापक सुधार की उम्मीद

राज्य सरकार का यह निर्णय न केवल चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण भी उपलब्ध कराएगा. आने वाले दिनों में विभागीय निगरानी और कड़ाई के चलते चिकित्सा ढांचे में व्यापक सुधार की उम्मीद जताई जा रही है.

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