
राम जल सेतु लिंक परियोजना (संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी) के तहत बनने वाले डूंगरी बांध के विरोध में शुक्रवार को जोड़ली गांव में किसानों और ग्रामीणों की विशाल महापंचायत हुई। जिसमें वक्ताओं ने बांध के निर्माण को रद्द करने के लिए आर-पार की लड़ाई की चेतावनी दी। साथ ही सरकार को दस दिन का अल्टीमेटम दिया। इसी बीच सरकार ने साफ किया डूंगरी बांध बनने से 72 नहीं, 16 गांव ही प्रभावित होंगे।
सवाईमाधोपुर जिले में भारी विरोध और महापंचायत के बीच राजस्थान सरकार ने डूंगरी बांध से प्रभावित वास्तविक गांवों की जानकारी साझा की। इसके लिए सचिवालय में तीन मंत्रियों- जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत, कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने प्रेसवार्ता की। परियोजना की जरूरत और बांध से प्रभावित गांवों की जानकारी दी।
मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने बताया कि डूंगरी बांध बनने से 16 गांव प्रभावित होंगे। इसमें 4387 मकान, भवन शामिल है। 2017 में बनी सर्वे रिपोर्ट में ज्यादा गांव प्रभावित हो रहे थे, इसलिए इसका भराव तल 230 मीटर से घटाकर 227.50 मीटर और भराव क्षमता 2100 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) से घटाकर 1588 एमसीएम किया गया है।उन्होंने कहा कि 16 में से केवल 9 गांव ही ऐसे हैं, जिनकी आबादी 70 से 100 प्रतिशत तक प्रभावित होगी। ऐसे सभी प्रभावितों का पास ही पुनर्वास करने के लिए सरकार ने योजना बना ली है।
76 गांव का आंकड़ा सफेद झूठ, किसानों को गुमराह कर रहे
तीनों मंत्रियों ने कहा कि जिन नेताओं को जनता से नकार दिया, वे राजनीतिक स्टंट के लिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं। वे 76 गांव प्रभावित होने की झूठी अफवाह फैलाकर कानून व्यवस्था बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे इन नेताओं के बहकावे में नहीं आए, हिंसा पर उतारू नहीं हों। सरकार बात को हर समय तैयार है। किसानों का प्रतिनिधि मण्डल चाहे तो मंत्रियों और अफसरों से प्रोजेक्ट को समझ सकते हैं। मंत्री बेढम ने तो ऐसे नेताओं को चेताया भी है।
रिपोर्ट दो दिन पहले आई
स्थानीय लोगों को पहले ही इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई। इस सवाल पर किरोडीलाल मीणा ने स्पष्ट किया कि सर्वे रिपोर्ट दो दिन पहले ही आई है। केवल फौरी तौर पर जानकारी नहीं दी जा सकती थी।



