
कोरोना काल में जब लोग घरों में बंद थे, एक युवा को यह चिंता हुई कि घर से दुनिया कैसे देखी जाएगी? हर सामान, हर सेवा घर तक पहुंच रही थी। लेकिन भारत जैसा विशाल देश अपना खुद का डिजिटल मानचित्र तक नहीं रखता था। बस यही विचार उसके मन में क्लिक कर गया और उसने घर बैठे-बैठे पूरी दुनिया को देखने की तकनीक पर कार्य शुरू कर दिया।
कनाडा से पढ़ाई करके लौटे और इंटरनेट की दुनिया के जानकार युवक दीपक शारदा ने स्टार्टअप के लिए भारत के लिए कुछ नया करने का निश्चय किया। उसने भारत के गांव-गांव और गली-गली को जोड़ने के लिए एक डिजिटल मानचित्र बनाने की ठानी। भारत में आधार और यूटीआई अपनी बड़ी भूमिका निभा रहे थे, लेकिन डिजिटल पता का कोई सिस्टम मौजूद नहीं था।
उसने विभिन्न संसाधनों को एकीकृत करने के लिए डेटा पर काम शुरू किया। जब वह यह आइडिया लेकर पिछले वर्ष दिल्ली में भारत सरकार के कार्यक्रम में पहुंचा, तो सब हैरान रह गए। उसके इस विचार को देश में नंबर वन माना गया और उसे पुरस्कार तथा 1,00,000 का नकद सम्मान दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल विजन से प्रभावित यह युवा अब भारत पिन और भारत मैप खोजकर लाया है, जिसे वह देश और राज्य को समर्पित करना चाहता है। सीमांत बाड़मेर जिले का यह प्रयास देश में डिजिटल स्टार्टअप का नया अध्याय माना जा रहा है।
इस विचार में लॉजिस्टिक चुनौतियां, देश की जीडीपी का लाभ, सरकारी योजनाओं की ट्रैकिंग, भ्रष्टाचार-नियंत्रण, छात्रों, किसानों, आम नागरिकों से लेकर चुनाव आयोग सभी के लिए उपयोगी समाधान खोजने का सिलसिला शुरू हुआ। आधार और यूपीआई के बाद यूपिन (डिजिटल पता) वह कड़ी है, जो भारत के डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा कर सकती है।



