
जुलाई की शुरुआत के साथ ही कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है। भारत की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 1 जुलाई 2025 से 19 किलोग्राम वाले कॉमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम में 58 रुपये की कटौती की है। इस कटौती के बाद राजस्थान की राजधानी जयपुर में अब यह सिलेंडर 1751.50 रुपये की जगह 1693.50 रुपये में मिलेगा। वहीं अजमेर में यह कीमत करीब 1645.50 रुपये और अलवर में लगभग 1792 रुपये के आसपास तय की गई है।
होटल-रेस्तरां को मिलेगा सीधा फायदा
कॉमर्शियल सिलेंडर के दामों में हुई यह कटौती होटल, रेस्तरां और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए राहत की खबर लेकर आई है। इन संस्थानों का दैनिक संचालन एलपीजी पर ही निर्भर होता है और सिलेंडर की महंगी दरें उनके मुनाफे पर सीधा असर डालती हैं। ऐसे में अब खाने-पीने की सेवाएं देने वाले छोटे और मध्यम व्यवसायों को थोड़ी राहत मिल सकती है। हालांकि, आम उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर नहीं है क्योंकि 14.2 किलोग्राम वाले घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह सिलेंडर अभी भी 856.50 रुपये में ही उपलब्ध रहेगा।
लगातार 5वीं बार कीमतों में कटौती
राजस्थान एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष दीपक गहलोत के अनुसार, यह इस साल पांचवीं बार है जब कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमतें घटाई गई हैं।
मई में 24.50 रुपये
अप्रैल में 40.50 रुपये
जनवरी में 14.50 रुपये
फरवरी में 6 रुपये की कटौती की जा चुकी है। अब जुलाई में 58 रुपये की यह बड़ी कटौती देखने को मिली है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट का असर
एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में यह गिरावट अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई नरमी का परिणाम है। ICICI बैंक की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इजरायल-ईरान संघर्ष में कमी, वैश्विक मांग में सुस्ती और आपूर्ति में वृद्धि की वजह से कच्चा तेल सस्ता हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 में कच्चे तेल की वैश्विक मांग लगभग 102.9 मिलियन बैरल प्रति दिन बनी रहने की संभावना है, जो 2024 के स्तर के लगभग बराबर है। इसके अलावा, वैश्विक आपूर्ति में बढ़ोतरी के चलते कीमतों पर दबाव बना हुआ है।
प्रमुख शहरों में नई दरें
देशभर में कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की नई दरें इस प्रकार हैं
दिल्ली: ₹1665
मुंबई: ₹1616
कोलकाता: ₹1769
चेन्नई: ₹1823.50
जयपुर: ₹1693.50
अजमेर: ₹1645.50 (लगभग)
अलवर: ₹1792 (लगभग)
इस कटौती के बाद उम्मीद की जा रही है कि व्यापारिक संस्थानों पर ईंधन खर्च का बोझ कुछ कम होगा, जिससे सेवाओं की लागत पर भी सकारात्मक असर पड़ सकता है।