योगी आदित्यनाथ सरकार का नया रिकॉर्ड! एक साल में इतने लाख राजस्व मामले सुलझाए

प्रदेश की योगी सरकार ने अपने नाम एक और उपलब्धि हासिल की है. बीते एक साल में उप जिलाधिकारी (एसडीएम) और तहसीलदार स्तर पर 30 लाख से अधिक राजस्व मामलों का समाधान हुआ है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक और बड़ी प्रशासनिक उपलब्धि हासिल की है. बीते एक साल में प्रदेश के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) और तहसीलदार स्तर पर 30 लाख से अधिक राजस्व मामलों का समाधान कर ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया गया है. इससे प्रदेश की जनता को जमीन और मालिकाना हक से जुड़े विवादों में त्वरित राहत और न्याय मिला है.

सरकार के मुताबिक इनमें 24 लाख से अधिक नामांतरण यानी वारिसाना हक के मामलों का निस्तारण किया गया है. यह वो मामले होते हैं, जहां किसी की मृत्यु के बाद संपत्ति का नाम नए उत्तराधिकारी के नाम किया जाता है. पहले इन मामलों में वर्षों लग जाते थे, लेकिन अब इसे कुछ ही हफ्तों में निपटाया जा रहा है.

माप-जोख, बंटवारा, बेदखली जैसे विवादों का भी हुआ समाधान
मुख्यमंत्री के निर्देश पर जमीन से जुड़े पैमाइश, बंटवारा, बेदखली और अकृषक उपयोग जैसे जटिल मामलों को भी प्राथमिकता से निपटाया गया है. सरकार के आंकड़ों के अनुसार-1.5 लाख से अधिक पैमाइश (भूमि की नाप-जोख), 1.5 लाख बंटवारे के मामले, 80 हजार बेदखली के मामले, 95 हजार अकृषक उपयोग (जमीन के इस्तेमाल में बदलाव) के मामले का समाधान किया गया है. यह प्रयास ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले उन लाखों लोगों के लिए बड़ी राहत है, जो वर्षों से जमीन संबंधी मामलों में उलझे थे.

योगी सरकार की प्रशासनिक इच्छाशक्ति लाई रंग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शासन ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि राजस्व मामलों को टालने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए और जनता को त्वरित न्याय मिले. इसके लिए नियमित समीक्षा बैठकों, पोर्टल आधारित ट्रैकिंग और अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई.

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और जनसंख्या बहुल राज्य में जमीन से जुड़े विवाद प्रशासनिक और सामाजिक समस्याओं का बड़ा कारण रहे हैं. नामांतरण, बंटवारा, या कब्जा जैसे विवाद अदालतों और तहसीलों में लंबित रहते हैं. इन मामलों में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार ने डिजिटलीकरण, ऑनलाइन आवेदन व्यवस्था और सीएम हेल्पलाइन जैसी कई पहल की हैं, जिनका असर अब जमीन पर साफ दिख रहा है.

जनता को न्याय, प्रशासन को नई साख
इस अभियान से जहां आम नागरिकों को अपने अधिकार और समाधान मिलने में मदद मिली है, वहीं प्रशासन की कार्यशैली में पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ी है. इससे प्रदेश में निवेश और विकास की राह भी आसान हुई है, क्योंकि जमीन से जुड़े विवाद समय पर न सुलझें तो औद्योगिक व निजी परियोजनाएं भी अटक जाती हैं.योगी सरकार के इस प्रयास को ‘गुड गवर्नेंस’ यानी सुशासन की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है, जो भविष्य में भी आम जनता को राहत पहुंचाता रहेगा.

Related Articles

Back to top button