
उत्तर प्रदेश विधानमंडल- विधानसभा और विधान परिषद् के सदस्यों और मंत्रियों की सैलरी और भत्तों में बढ़ोत्तरी की गई है. उत्तर प्रदेश में विधानसभा और विधान परिषद् के सदस्यों और मंत्रियों की सैलरी और भत्ते अब बढ़ कर आएंगे. इस आशय का प्रस्ताव, विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने पेश किया. उन्होंने कहा कि 9 साल पहले अगस्त 2016 में सैलरी और भत्ते बढ़े थे.
उन्होंने कहा कि विधायकों का वेतन 25 हजार की जगह 35 हजार, मंत्रियों का वेतन40 हजार की जगह 50 हजार, डिप्टी मिनिस्ट कोई है नहीं लेकिन 45 हजार, निर्वाचन भेत्र भत्ता- 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार, रेलवे कूपन 4 लाख 25 हजार की जगह अब 5 लाख (परिवर्तनीय), दैनिक सत्र भत्ता 2500, जनसेवा कार्यों हेतु दैनिक भत्ता 1500 की जगह 2000 सचवीय भत्ता- 20 हजार की जगह 30 हजार चिकित्सीय भत्ता 30 हजार की जगह 45 हजार, टेलीफोन भत्ता 6 हजार की जगह 9 हजार और पेंशन प्रतिमाह 25 हजार की जगह 35 हजार मिलेगी. चाहे टर्म कितना भी हो.
पूर्व विधायकों और मंत्रियों की भी बल्ले-बल्ले
खन्ना ने कहा कि विधानपरिषद् के पूर्व सदस्य को 6 वर्ष पूर्ण करने पर 2 हजार प्रतिमाह का अतिरिक्त पेंशन दी जाएगी. खन्ना ने कहा कि विधानपरिषद् के पूर्व सदस्य को 6 वर्ष पूर्ण करने पर 2 हजार प्रतिमाह का अतिरिक्त पेंशन दी जाएगी. प्रथम वर्ष के पश्चात प्रतिवर्ष 2 हजार बढ़ते रहेंगे. अगर किसी का कार्यकाल 6 माह या उससे ज्यादा है तो उसे एक पूरा वर्ष माना जाएगा. वहीं पारिवारिक पेंशन जो अब तक 25 हजार रुपये थे, वो 30 हजार कर दी गई.
पूर्व विधायकों के लिए रेलवे कूपन प्रतिवर्ष 1 लाख रुपये मिलता था. अब 1 लाख रुपये की जगह डेढ़ लाख रुपये मिलेंगे. इसमें रेल और हवाई जहाज के लिए 50 हजार रुपये और निजी वाहन के पेट्रोल डीजल के लिए 1 लाख रुपये नगद ले सकते हैं. अगर बाद में ये बच जाते हैं तो ये भी परिवर्तनीय हैं. कुल मिलाकर 105 करोड़ 63 लाख रुपये की वार्षिक व्यवस्था की गई है. सरकार पर 105 करोड़ 21 लाख 63 हजार रुपये का सरकार पर बोझ आएगा.
खन्ना ने कहा कि चूंकि सेवाओं और वस्तुओं का मूल्य बढ़ा है और 2016 में पहले इस पर विचार हुआ था. अब 9 वर्ष के बाद इस पर विचार हो रहा है. हम सब जानते हैं कि महंगाई के इस दौर में लोगों के कार्य संचालन के लिए यह आवश्यक था इसलिए इस पर विचार किया गया. सीएम योगी ने इस पर सहमति दे दी है.