
UP News: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के नेतृत्व में प्रदेश ने शानदार प्रदर्शन किया है. सीएजी की रिपोर्ट में रेवेन्यू सरप्लस राज्यों की सूची में यूपी सबसे ऊपर पहुंच गया है.
भारत के महालेखाकार (सीएजी) की हालिया रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को लेकर अच्छी खबर सामने आई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश राज्य राजस्व अधिशेष यानी रेवेन्यू सरप्लस में शामिल था. सीएजी ने राज्यों के 10 सालों के आर्थिक प्रदर्शन का अध्ययन कर बताया है कि देश में अब कुल 16 राज्य ऐसे हैं, जिनकी कमाई उनके खर्च से ज्यादा है यानी ये राज्य रेवेन्यू सरप्लस में हैं.
अच्छी बात ये ही कि इस सूची में उत्तर प्रदेश ₹37,000 करोड़ के रेवेन्यू सरप्लस के साथ सबसे ऊपर है. यह दर्शाता है कि प्रदेश में सीएम योगी के नेतृत्व में लागू की गई नीतियों के कारण उत्तर प्रदेश न केवल सतत विकास की राह पर बढ़ रहा है बल्कि अन्य राज्यों के समक्ष एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में उभर रहा है. जबकि गुजरात ₹19,856 करोड़ रेवेन्यू के साथ दूसरे नंबर पर हैं.
दोगुनी रफ्तार से तरक्की कर रहा यूपी
उत्तर प्रदेश डबल इंजन की सरकार में दोगुनी रफ्तार से तरक्की कर रहा है तथा इस बात को सीएजी ने भी रिपोर्ट में माना है. उल्लेखनीय है कि मौजूदा योगी सरकार के वर्ष 2017 से लेकर अब तक के कार्यकाल की तुलना अगर वर्ष 2012-17 के दौरान की पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार से करेंगे तो जमीन-आसमान का फर्क देखने को मिलेगा.
टैक्स कलेक्शनः वर्ष 2012-13 में यह मात्र ₹54,000 करोड़ था जो 2016-17 में बढ़कर ₹85,000 करोड़ हुआ यानी, 5 साल में करीब ₹31,000 करोड़ की वृद्धि हुई. वहीं योगी सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2017-18 में यह ₹95,000 करोड़ से बढ़कर 2024-25 तक ₹2,25,000 करोड़ तक पहुंचा. यानी, 8 साल में 1.3 लाख करोड़ से अधिक की वृद्धि हुई है.
सकल राज्य घरेलू उत्पादः वर्ष 2012-13 में प्रदेश की जीएसडीपी लगभग ₹8 लाख करोड़ थी जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 12.5 लाख करोड़ हो गई, यानी लगभग ₹ 4.5 लाख करोड़ की वृद्धि हुई. वहीं, योगी सरकार में वर्ष 2017-18 में जीएसडीपी लगभग ₹13.6 लाख करोड़ था तथा वर्ष 2025-26 में यह 30 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. यानी, केवल 8 वर्षों में लगभग ₹ 16.4 लाख करोड़ की वृद्धि हुई है.
कभी बीमारू राज्य के तौर पर उत्तर प्रदेश के नाम लिया जाता था. पिछड़ेपन और आर्थिक तंगी की वजह से चर्चा में रहने वाले उत्तर प्रदेश ने आर्थिक मोर्चे पर बड़ी उपलब्धि हासिल की है. ये आकंड़े सामने आने के बाद अब प्रदेश में सियासत भी जमकर
भाजपा शासन वाले राज्यों की स्थिति
सीएजी की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि यूपी के बाद गुजरात (₹19,856 करोड़), ओडिशा (₹15,560 करोड़), झारखंड (₹13,920 करोड़), कर्नाटक (₹13,496 करोड़), छत्तीसगढ़ (₹8,592 करोड़), तेलंगाना (₹6,944 करोड़), केरल (₹5,310 करोड़), मध्य प्रदेश (₹4,091 करोड़) और गोवा (₹2,399 करोड़) का स्थान है.
पूर्वोत्तर के अरुणाचल, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे राज्य भी अधिशेष वाले राज्यों में शामिल हैं. इन 16 अधिशेष राज्यों में से कम से कम 10 पर भाजपा का शासन है.
राजस्व घाटे से जूझ रहे ये 12 राज्य
रिपोर्ट के अनुसार, देश के 12 राज्य अब भी राजस्व घाटे से जूझ रहे हैं. इनमें आंध्र प्रदेश (-₹43,488 करोड़), तमिलनाडु (-₹36,215 करोड़), राजस्थान (-₹31,491 करोड़), पश्चिम बंगाल (-₹27,295 करोड़), पंजाब (-₹26,045 करोड़), हरियाणा (-₹17,212 करोड़), असम (-₹12,072 करोड़), बिहार (-₹11,288 करोड़), हिमाचल प्रदेश (-₹6,336 करोड़), केरल (-₹9,226 करोड़), महाराष्ट्र (-₹1,936 करोड़) और मेघालय (-₹44 करोड़) शामिल हैं.