
यूक्रेन में युद्धविराम के लिए चल रही कवायद खटाई में पड़ती नजर आ रही है। यूक्रेन और रूस ने एक-दूसरे पर ऊर्जा संयंत्रों पर हमले की रोक का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
रूस पर नए प्रतिबंधों की मांग
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इसके चलते रूस पर नए प्रतिबंधों की मांग की है। इस बीच काला सागर में युद्धविराम लागू होने और मालवाहक जहाजों का आवागमन शुरू होने को लेकर भी शंकाएं पैदा हो गई हैं।
काला सागर में युद्धविराम पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की वार्ता में सहमति बनी थी। मंगलवार को अमेरिका ने एक-दूसरे के ऊर्जा संयंत्रों पर हमला न करने, काला सागर में जहाजों और बंदरगाहों पर हमला न करने की रूस और यूक्रेन में बनी सहमति की घोषणा की थी। लेकिन एक दिन बाद ही दोनों देशों ने कटुता और तनाव बढ़ने के संकेत दे दिए हैं।
काला सागर में युद्धविराम प्रभावी होगा
रूस ने कहा है कि उस पर लगे प्रतिबंधों को हटाए जाने के बाद ही काला सागर में युद्धविराम प्रभावी होगा। वैसे उसने 18 मार्च से यूक्रेन के ऊर्जा संयंत्रों पर हमले बंद कर रखे हैं जबकि यूक्रेन ने रूसी ऊर्जा ठिकानों पर हमले किए हैं।रूस ने बताया कि मंगलवार-बुधवार रात उसने काला सागर के ऊपर यूक्रेन के नौ ड्रोन मार गिराए। ये ड्रोन क्रीमिया के गैस डिपो और कुर्स्क व ब्रियांस्क के ऊर्जा संयंत्रों पर हमले के लिए छोड़े गए थे।
रूस ने 117 ड्रोन से क्रिवी रीह शहर पर हमला किया
जबकि यूक्रेन की सेना ने कहा है कि रूस ने 117 ड्रोन से क्रिवी रीह शहर पर हमला किया। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि इस बड़े हमले को देखते हुए उन्हें विश्वास हो गया है कि यूक्रेन में शांति स्थापित नहीं हो सकती है।
भारत, चीन, रूस कर रहे डॉलर से दूर जाने की तैयारी : अमेरिकी खुफिया एजेंसी
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बार नहीं, बल्कि कम से कम तीन सार्वजनिक मंचों से आधिकारिक तौर पर यह बात बोल चुके हैं कि भारत की ब्रिक्स संगठन के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय काराबोर से अमेरिकी डॉलर को बाहर करने की कोई मंशा नहीं है, लेकिन अमेरिका की नई सत्ता को अभी तक यह बात समझ नहीं आई है।
मंगलवार को अमेरिका के खुफिया विभाग की तरफ से जारी वार्षिक रिपोर्ट (यह रिपोर्ट संभावित अमेरिकी हितों के समक्ष उत्पन्न संभावित खतरों पर होती है) में यह बात दोहराई गई है कि रूस, भारत व चीन की सदस्यता वाले संगठन ब्रिक्स की तरफ से डि-डॉलराइजेशन (अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अमेरिकी डालर के इस्तेमाल को कम करने या खत्म करने की प्रक्रिया) की कोशिश की जा रही है।
वैसे इसके लिए रूस की नीति को मुख्य तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है, लेकिन रिपोर्ट में भारत का भी नाम है। अभी तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।