मोदी सरकार ने किया वीजा रद्द, फिर भी भारत में रह रहा पाकिस्तानी नागरिक, अब सुप्रीम कोर्ट से कर दी ये मांग

पाकिस्तानी नागरिक के अधिवक्ता ने SC में कहा कि शख्स 2016 से गोवा में दीर्घकालिक वीजा पर रह रहा है, इस वीजा में विशेष शर्तें निहित होती हैं और याचिकाकर्ता का जन्म भी भारत में भी हुआ है. गोवा में पिछले नौ साल यानी वर्ष 2016 से दीर्घकालिक वीजा पर रह रहे एक पाकिस्तानी नागरिक ने गुरुवार (5 जून, 2025) को केंद्र सरकार की ओर से पाकिस्तानियों के वीजा रद्द करने के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में याचिका दायर की है.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे. इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर पाकिस्तानियों को जारी वीजा रद्द कर दिए थे. इनमें उन लोगों को छूट दी गई थी जिन्हें विशेष रूप से अपवाद के रूप में व्यक्त किया गया था और उनके देश की जाने की समयसीमा तय कर दी गई थी.

पाकिस्तानी नागरिक को कोर्ट ने कहा- वापस जाइए

पाकिस्तानी नागरिक की ओर से पेश अधिवक्ता ने गुरुवार (5 जून) को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की अपील की. अधिवक्ता ने कहा, ‘‘यह मामला एक पाकिस्तानी नागरिक का है जो साल 2016 से गोवा में दीर्घकालिक वीजा पर रह रहा है. पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने एक अधिसूचना जारी की है.’’ इस पर पीठ ने कहा, ‘‘आप वापस जाइए.’’

अधिवक्ता ने कहा- याचिकाकर्ता का भारत में हुआ है जन्म

अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता वापस जाएगा, लेकिन उसकी बात सुनी जानी चाहिए क्योंकि दीर्घकालिक वीजा में विशेष शर्तें निहित थीं. अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता का जन्म भारत में हुआ था. हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने अधिवक्ता से पूछा कि उनके मुवक्किल ने क्षेत्रीय उच्च न्यायालय का रुख क्यों नहीं किया. इस पर अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस याचिकाकर्ता के पास आई थी, जिसके बाद पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई के लिए इसे सूचीबद्ध किया जाएगा.

SC ने नागरिकता के सत्यापन को लेकर 6 लोगों को पाकिस्तान भेजने पर लगाई थी रोक

वहीं, एक अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने दो मई को अधिकारियों को निर्देश दिया था कि कथित तौर पर वीजा अवधि से अधिक समय तक भारत में रहने वाले एक परिवार के छह सदस्यों को तब तक पाकिस्तान वापस न भेजें जब तक कि उनकी नागरिकता के दावे का सत्यापन न हो जाए.

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