
महाराष्ट्र में इस साल के आखिर में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर कांग्रेस में अकेले चुनाव लड़ने की चर्चा तेज है। पार्टी के कई नेता मानते हैं कि इससे संगठन को मजबूती मिलेगी और खोई हुई जमीन वापस पाई जा सकती है। बीजेपी के बढ़ते प्रभाव से कांग्रेस चिंतित है। वहीं, राजेंद्र मुलक जैसे नेताओं की वापसी से पार्टी को हौसला भी मिला है।
महाराष्ट्र की राजनीति में कांग्रेस बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है। राज्य में इस साल के आखिर में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस में चर्चा तेज हो गई है कि पार्टी अकेले चुनाव मैदान में उतरे। पार्टी के कई नेता मानते हैं कि इन चुनावों के जरिए कांग्रेस को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का मौका मिल सकता है। खासकर तब, जब भाजपा राज्य के ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में तेजी से अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
कांग्रेस इस समय शिवसेना (उद्धव गुट) और शरद पवार की एनसीपी (एसपी) के साथ महाविकास अघाड़ी (एमवीए) का हिस्सा है। लेकिन हाल ही में शिवसेना (उद्धव गुट) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की नजदीकियों ने राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। इसी वजह से कांग्रेस के भीतर एक बड़ा वर्ग चाहता है कि स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी अकेले मैदान में उतरे, ताकि अपनी असली ताकत परख सके।
संगठन को मजबूत करने का मौका मान रही कांग्रेस
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मानते हैं कि स्थानीय चुनाव संगठन को मजबूत करने का सबसे अच्छा तरीका हैं। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि गांव से लेकर शहर तक पार्टी की जड़ें मजबूत करने के लिए स्थानीय निकाय चुनाव जरूरी हैं। पार्टी नेता शिवाजीराव मोघे के मुताबिक, ये चुनाव जमीनी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और बड़े चुनावों में उनकी भागीदारी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
भाजपा के बढ़ते दबदबे से चिंता में कांग्रेस
2017-18 के स्थानीय चुनावों में भाजपा ने महाराष्ट्र के कई अहम नगर निगमों पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है। कई पुराने विधायक और नेता भी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस मान रही है कि अगर उसने अपना मजबूत जिला-स्तरीय अभियान नहीं चलाया तो आने वाले चुनावों में उसे और नुकसान हो सकता है।
जिला स्तर पर रणनीति बनाने की तैयारी
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि हर जिले की अलग रणनीति होनी चाहिए। स्थानीय मुद्दों जैसे पानी की समस्या, स्वास्थ्य सेवाएं और आरक्षण पर फोकस करके कांग्रेस भाजपा के विकास के दावों को चुनौती दे सकती है। मुंबई, नागपुर, पुणे और नासिक जैसे बड़े शहरों में पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है। हालांकि, अंतिम फैसला पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा।
पुराने नेताओं की वापसी से मिला हौसला
इस बीच, कांग्रेस के लिए अच्छी खबर यह रही कि विदर्भ के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री राजेंद्र मुलक ने पार्टी में वापसी की है। मुलक पहले पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़े थे, जिस पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी हुई थी। लेकिन अब उनके लौटने से नागपुर और आसपास के इलाकों में कांग्रेस को मजबूती मिलने की उम्मीद है। पार्टी इसे स्थानीय नेतृत्व को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा मान रही है। आगामी चुनावों के लिए कांग्रेस अब पूरी तैयारी में जुट गई है।