मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को एक बार फिर अनिश्चिकालीन अनशन शुरू किया। एक साल से अधिक की अवधि में जरांगे का यह छठा प्रयास हैं। वह अपने समुदाय को ओबीसी के तहत आरक्षण दिलाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने जालना जिले के अपने पैतृक गांव अंतरवाली सरती में आधी रात से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया। इस आंदोलन से पहले उन्होंने मीडिया से बात की और महाराष्ट्र सरकार पर उनकी समुदाय को आरक्षण नहीं देने का आरोप लगाया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मराठों ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक आखिरी मौका दे रही थी।
जारांगे उस मसौदा अधिसूचना को लागू करने की मांग कर रहे हैं जो कुनबियों को मराठा समुदाय के सदस्यों के ‘सेज सोयारे’ (रक्त रिश्तेदार) के रूप में मान्यता देती है। उन्होंने आगे कहा कि वह यह भी चाहते हैं कि पहले उनके आंदोलन के दौरान मराठा समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लिया जाए। जरांगे ने कहा, “मेरे लिए मराठा समुदाय महत्वपूर्ण है, लेकिन सरकार जानबूझकर आरक्षण नहीं दे रही है। वे कहते हैं कि हम राजनीतिक भाषा बोल रहे हैं। मैं अब राजनीतिक भाषा नहीं बोलूंगा, लेकिन यह देवेंद्र फडणवीस के लिए आखिरी मौका है।”
जरांगे ने आगे कहा, “मेरा समुदाय राजनीति में नहीं आना चाहता है। सरकार को अध्यादेश पारित करना चाहिए कि मराठा और कुनवी एक ही हैं। 2004 में पारित अध्यादेश में सुधार होना चाहिए। सेज सोयारे का नोटिफिकेशन तुरंत लागू करना चाहिए। जारी प्रमाण पत्रों के आधार पर जो भी इसकी मांग करें, उसे दिया जाए।” जरांगे ने चेतावनी देते हुए कहा कि फडणवीस का समर्थन करने वाले नेताओं को उनसे बात करनी चाहिए। समुदाय देख रहा है कि कौन उन्हें आरक्षण देगा।
सीएम शिंदे ने दी प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कहा कि मराठाओं के आरक्षण के लिए समितियां सेज सोआरे अधिसूचना पर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसी भी समुदाय को मूर्ख नहीं बनाएंगी। सीएम शिंदे ने कहा, राज्य द्वारा नियुक्त जस्टिस शिंदे समिति ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है। कुनबी प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। यह एक बड़ी जीत है। दूसरे समुदायों को परेशान किए बिना हम मराठाओं को 10 फीसदी आरक्षण भी देंगे।
पिछले साल एक सितंबर से लेकर अबतक जरांगे का यह छठा प्रयास है। उन्होंने कहा कि जो छात्र आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडबेल्यूएस) श्रेणी के तहत फॉर्म भर रहे हैं, उन्हें बिना किसी कारण से हटाया जा रहा है। यह खत्म होना चाहिए। ईडब्ल्यूएस, ओबीसी और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े (एसईबीसी) के तीनों विकल्प खुले रखे जाए। महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक बिल पारित किया, जिसमें मराठों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। जरांगे ओबीसी के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने की मांग पर अड़े हुए हैं।