
महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक बड़ा उलटफेर दिखाई दिया, जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे ) प्रमुख राज ठाकरे अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे से मिलने उनके घर मातोश्री पहुँचे।
13 साल के लंबे अंतराल के बाद हुई इस घटना से मनसे और शिवसेना (यूबीटी) में राजनीतिक गठबंधन की संभावनाएं बढ़ गई हैं। एक महीने में दूसरी बार दोनों भाई एक साथ दिखाई दिए हैं।
रविवार को 65 वर्ष के हो गए उद्धव ठाकरे को जन्मदिन की बधाई देने के लिए राज ठाकरे उनके बांद्रा पूर्व स्थित मातोश्री बंगले पर गए। इससे पहले शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद राज ठाकरे मातोश्री गए थे।
राज और उद्धव के बीच की बातें
लेकिन सामान्य घरेलू माहौल की बात करें, तो लगभग दो दशक के अंतराल के बाद ‘राजा’ अपने प्रिय ‘दादू’ को उनके जन्मदिन की बधाई देने के लिए मातोश्री गए। इस बैठक ने राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के बीच गठबंधन की चर्चा को और तेज कर दिया है।
मातोश्री पहुँचने के बाद सबसे पहले राज ने बालासाहेब की कुर्सी के सामने झुककर अपने गुरु को श्रद्धांजलि अर्पित की। उसके बाद शिवसेना प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ने मनसे संस्थापक अध्यक्ष राज के कंधे पर हाथ रखकर थपथपाया।
दोनों ने किया एक्स पर पोस्ट
इसके बाद उद्धव ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि मनसे प्रमुख राजसाहेब ठाकरे ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख को शुभकामनाएं दीं । जबकि राज ठाकरे ने लिखा है कि मैंने मेरे बड़े भाई, शिवसेना पक्ष-प्रमुख उद्धव ठाकरे के जन्मदिन के अवसर पर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे के आवास मातोश्री जाकर उन्हें शुभकामनाएं दीं।
बाद में उद्धव ठाकरे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आज मैं बहुत खुश हूं। जब उनसे पूछा गया कि राज ने उन्हें शिवसेना प्रमुख कहा है, तो उन्होंने कहा, हां, केवल एक ही शिवसेना है। उनका यह कथन इस बात पर जोर देता है कि असली शिवसेना का नेतृत्व वही करते हैं।
राज के पहुंचते ही राज्यसभा सदस्य संजय राउत, जो उनके मित्र और उद्धव के करीबी हैं तथा विधान परिषद में विपक्ष के नेता हैं, ने उनका स्वागत किया। इस मुलाक़ात में राज के साथ उनके सहयोगी और पूर्व गृह राज्य मंत्री बाला नंदगांवकर और पूर्व विधायक नितिन सरदेसाई भी थे। इस मुलाक़ात ने राज्य के कोने-कोने से उद्धव को बधाई देने के लिए मातोश्री के आसपास एकत्रित हुए कई लोगों के चेहरों पर मुस्कान और आंसू ला दिए।
भाजपा का निशाना
20 वर्षों के बाद, राज और उद्धव पांच जुलाई को वर्ली स्थित सरदार वल्लभभाई स्टेडियम, नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया के डोम में मराठी भाषा, मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र के व्यापक मुद्दे पर एक साथ आए थे।
भाजपा नीत महायुति सरकार द्वारा हिंदी भाषा संबंधी जीआर को वापस लेने का जश्न मनाने के लिए आयोजित विजय रैली में दोनों भाइयों ने मराठी पहचान और हिंदी भाषा को “थोपने” के मुद्दे पर लगभग दो दशकों में पहली बार एक राजनीतिक मंच साझा किया। ठाकरे भाइयों के मामा चंद्रकांत वैद्य ने कहा कि यह मराठी मानुष के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।
शिवसेना (यूबीटी) विधायक भास्कर जाधव, जो विधानसभा में पार्टी के समूह नेता हैं, का कहना है कि महाराष्ट्र के लोग चाहते थे कि दोनों भाई एक साथ हों, दो भाई एक साथ आएं, दो दल एक साथ आएं, दो विचार एक साथ आएं।
बता दें कि ठाकरे भाइयों के बीच यह सौहार्द महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों के पूर्व देखने को मिल रहा है। स्थानीय निकाय चुनावों से पहले उद्धव और राज की ओर से यह एक बड़ा राजनीतिक संदेश है।
BMC चुनाव पर क्या पड़ेगा असर
बता दें कि स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान 29 नगर निगमों, 257 नगर परिषदों, 26 जिला परिषदों, 289 पंचायत समितियों में चुनाव होंगे, जो राज्य की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी को प्रभावित करेंगे। इस मुलाक़ात के बाद अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में राउत ने कहा कि महाराष्ट्र आज खुश है।
आखिरी बार दो बार राज को मातोश्री में तब देखा गया था, जब 16 जुलाई 2012 को वे उद्धव को सीने में दर्द होने पर अस्पताल से घर ले गए थे और दूसरा 18 नवंबर 2012 को बालासाहेब ठाकरे के 86 वर्ष की आयु में निधन के एक दिन बाद।
मुलाक़ात से मविआ उत्साहित
राज-उद्धव की मुलाकात से महाविकास आघाड़ी खेमे में उत्साह का माहौल है। राकांपा (शरद चंद्र पवार) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा है कि यह बहुत अच्छी बात है कि दोनों भाई एक साथ आए हैं।
जबकि इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि लोगों के मन में जो है, वह विधानसभा चुनावों में झलक गया है। अब जो लोगों के मन में है, वह स्थानीय निकाय चुनावों में झलकेगा। हमें दो लोगों के मन की बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए। दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि यह एक पारिवारिक मामला है।