
एमएसीटी ने महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम को 2019 में सड़क दुर्घटना में मारे गए एक बस चालक के परिवार को 44.15 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। न्यायाधिकरण ने पाया कि दुर्घटना दोनों पक्षों की लापरवाही से हुई।
महाराष्ट्र के ठाणे में 2019 में सड़क दुर्घटना में मारे गए एक बस चालक के परिवार को 44.15 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगी। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने मृतक के परिवार की अपील पर महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) को दोषी मानते हुए मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया।
क्या था मामला?
5 अक्टूबर, 2019 को 54 वर्ष सदाशिव कोरगा मूल्या अपने सूटर पर सवार थे, तभी शहर में खोपट सिग्नल के पास एमएसआरटीसी बस ने उन्हें टक्कर मार दी। मृतक सदाशिव ठाणे नगर परिवहन (टीएमटी) में ड्राइवर थे।
मृतक के परिवार का आरोप
मृतक की पत्नी और बेटी ने आरोप लगाया कि खोपट एसटी बस डिपो के मुख्य गेट से तेज रफ्तार में बस निकालते हुए सड़क पर आया। उसने अन्य वाहनों की परवाह किए बिना लापरवाह ढंग से वाहन चलाया। उन्होंने आरोप लगाया कि बस चालक वाहन पर नियंत्रण नहीं रख सका, ब्रेक भी नहीं लगाए और स्कूटर के पिछले बाएं हिस्से में टक्कर मार दी, जिससे मूल्या गिर पड़े और उनके सिर में गंभीर चोटें आईं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज के दौरान 15 नवंबर, 2019 को उनकी मृत्यु हो गई। रबोडी पुलिस ने एमएसआरटीसी बस चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
दावेदारों की ओर से वकील पीएम टिल्लू ने कहा कि मृतक का वेतन 35,925 रुपये प्रति माह था। दावेदार उसकी आय पर निर्भर थे। दावेदारों ने शुरू में 80 लाख रुपये तक की मांग की थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी मांग को एक लाख रुपये तक सीमित कर दिया।
एमएसआरटीसी की दलील
एमएसआरटीसी ने अपने लिखित बयान में चालक की लापरवाही से इनकार किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि दुर्घटना मृतक की “तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने” के कारण हुई। इसमें एफआईआर दर्ज करने में 74 दिनों की देरी की ओर भी ध्यान दिलाया गया।
न्यायाधिरण ने दोनों पक्षों की लापरवाही पाई
न्यायाधिकरण ने पाया कि दुर्घटना दोनों पक्षों की लापरवाही से हुई। रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्यों से यह साबित होता है कि दुर्घटना स्कूटर और एसटी बस के बीच हुई थी। एमएसीटी ने कहा कि बस को स्टैंड से बाहर निकालते समय, सड़क यातायात का ध्यान रखना ड्राइवर का कर्तव्य था। इसी तरह, मृतक की भी यह जिम्मेदारी थी कि वह सड़क पर बस को आते देख अपने वाहन की गति धीमी कर लेता। इसमें बस चालक की लापरवाही 75 प्रतिशत और मृतक की लापरवाही 25 प्रतिशत आंकी गई।
न्यायाधिरण का निर्देश
न्यायाधिकरण ने एमएसआरटीसी को निर्देश दिया कि वह याचिका की तारीख से जमा की तारीख तक 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ राशि को निर्णय के एक महीने के भीतर जमा करे।
न्यायाधिकरण ने आदेश दिया कि कुल मुआवजे में से मृतक की पत्नी को 25,15,204 रुपये मिलेंगे, जिनमें से 10 लाख रुपये तीन साल के लिए सावधि जमा में निवेश किए जाएंगे। उनकी बेटी को 19 लाख रुपये मिलेंगे, जिनमें से 7 लाख रुपये पांच साल के लिए सावधि जमा में निवेश किए जाएंगे।