मध्य प्रदेश: आदिवासी वित्त एवं विकास निगम के संविदा कर्मचारियों को हाईकोर्ट से राहत

मध्य प्रदेश आदिवासी वित्त विकास निगम के संविदा कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने राहत दी है। हाईकोर्ट के आदेश को वापस लेने संबंधी निगम के आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया है।

आदिवासी वित्त एवं विकास निगम के कर्मचारियों को हाईकोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी ने विभाग द्वारा दायर उस आवेदन को खारिज कर दिया है, जिसमें कर्मचारियों के पक्ष में जारी आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आदेश वापस लेने के लिए न्यायोचित कारण होना चाहिए। पहले से अर्जित अधिकार को किसी आदेश या परिपत्र के माध्यम से निरस्त नहीं किया जा सकता।

आदिवासी वित्त एवं विकास निगम के 22 कर्मचारियों ने अपने नियमितीकरण की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया था कि याचिकाकर्ताओं को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर वर्ष 1996 में जारी परिपत्र के अनुसार दो साल के लिए संविदा नियुक्ति पर रखा गया था।

परिपत्र के अनुसार दो साल का संविदा कार्यकाल पूर्ण होने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था। याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि विभाग ने नियमित पदों का सृजन किया था और उनके बाद नियुक्ति पाए संविदा कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया है। इस पर एकलपीठ ने जनवरी 2024 में कर्मचारियों के पक्ष में आदेश जारी किया था।

आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए आदिवासी वित्त एवं विकास विभाग ने हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था। विभाग ने कहा था कि कर्मचारियों को वर्ष 2016 में नियमित कर दिया गया है। नियमित होने की तिथि से ही उन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए। विभाग ने यह भी दावा किया कि याचिकाकर्ताओं ने तथ्यों को छुपाकर याचिका दायर की थी।

कोर्ट ने पाया कि पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान विभाग को पक्ष प्रस्तुत करने का पर्याप्त अवसर दिया गया था। इस आधार पर एकलपीठ ने विभाग के आवेदन को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंजनि बैनर्जी ने पैरवी की।

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