
मध्य प्रदेश में किसानों के लिए खाद की कमी न होने के दावे लगातार किए जाते हैं, मगर हकीकत इसके उलट है। भैरूंदा और बुधनी क्षेत्रों में खाद की किल्लत ने खेती को संकट में डाल दिया है। सहकारी समितियों में ताले लटके हैं और छोटे किसान सुबह से शाम तक कतारों में खड़े होने को मजबूर हैं। रसूखदार किसानों को आसानी से खाद मिल रही है, जबकि गरीब किसान संघर्ष कर रहे हैं।
जिले में खाद की कमी ने ग्रामीण क्षेत्रों में चिंता बढ़ा दी है। किसानों को अपनी फसलों के लिए आवश्यक खाद प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है, जिससे खेती की गतिविधियां बाधित हो रही हैं। जिले में मांग की तुलना में आपूर्ति कम है। साथ ही खाद वितरण में अनियमितताएं पाई जा रही हैं, जिससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। कुछ किसानों को खाद के सही उपयोग और लाभों की जानकारी न होने से भी समस्या गहराती जा रही है। खाद की कमी से उत्पादन क्षमता घट सकती है और किसानों की आय प्रभावित हो सकती है। कृषि विभाग का कहना है कि 55 हजार टन के लक्ष्य में से 53 हजार टन यूरिया बांटा जा चुका है।
केंद्रीय कृषि मंत्री के क्षेत्र में बेहाल किसान
कांग्रेस नेता विक्रम मस्ताल शर्मा ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा। उनका आरोप है कि बुधनी विधानसभा क्षेत्र में किसान खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं। तजपुरा सोसाइटी में किसानों को पासबुक के लिए भी लंबी कतारें लगानी पड़ीं।
बुजुर्ग महिलाएं भी लगीं कतारों में
11 अगस्त को भैरूंदा किसान समृद्धि केंद्र पर हालात इतने बिगड़े कि 70–80 वर्ष की महिलाएं भी लाइन में खड़ी रहीं। सुबह 6 बजे से इंतजार कर रहे किसानों ने 10:30 बजे इंदौर–भोपाल मार्ग जाम कर दिया। इसके बाद टोकन बांटे गए, लेकिन पर्याप्त खाद फिर भी नहीं मिली। गोदाम प्रभारी महेंद्र मेवाड़ा के अनुसार, सोमवार को 93 टन यूरिया का वितरण हुआ, जबकि 3200 टन की आवश्यकता अभी भी बाकी है। शासन को अतिरिक्त मांग भेजी जा चुकी है।