
कपिल सिब्बल ने वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन को जरूरी करने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि 100-200 साल पुराने वक्फ के कागजात कहां से आएंगे. वक्फ संशोधन कानून, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार (20 मई, 2025) को सुनवाई में सरकारी संपत्तियों की पहचान का मुद्दा उठाया गया. याचिकाकर्ताओं की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि यहां मंदिरों की तरह चढ़ावा नहीं होता है. इस पर मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई ने कहा कि वह दरगाह गए हैं और उन्होंने देखा है कि वहां भी चढ़ावा चढ़ता है.
वक्फ कानून पर पिछली सुनवाई 15 मई को हुई थी, तब सीजेआई गवई की बेंच ने केंद्र को 19 मई तक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था. आज कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए कहा कि नया वक्फ कानून वक्फ की संपत्ति हड़पने का कानून है. उन्होंने आपत्ति जताई कि सरकार से विवाद में सरकार ही फैसला लेगी. कपिल सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि यहां मंदिरों की तरह चढ़ावा नहीं होता, वक्फ संपत्ति से मिली आय से ही मस्जिद का मैनेजमेंट होता है.कपिल सिब्बल की इस दलील पर सीजेआई गवई ने टोकते हुए कहा, ‘मैं दरगाह गया हूं, वहां चढ़ावा चढ़ता है.’ कपिल सिब्बल ने इस पर कहा कि जी दरगाह पर चढ़ावा चढ़ता है, लेकिन दरगाह और मस्जिद अलग होते हैं. उन्होंने वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन को जरूरी करने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि 100-200 साल पुराने वक्फ के कागजात कहां से आएंगे तो सीजेआई गवई ने उनसे पूछा कि क्या पहले से वक्फ कानून में रजिस्ट्रेशन का प्रावधान नहीं था.कपिल सिब्बल ने सीजेआई को बताया कि रजिस्ट्रेशन का प्रावधान था, लेकिन उसका परिणाम यह नहीं था कि संपत्ति वक्फ ही नहीं मानी जाएगी. उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक यही व्यवस्था थी कि रजिस्ट्रेशन न करवाने वाले मुतवल्ली को हटा दिया जाए. अब तो संपत्ति ही वक्फ नहीं मानी जाएगी. सीजेआई गवई ने उनकी इस आपत्ति को नोट कर लिया.
कपिल सिब्बल ने वक्फ बाय यूजर के रजिस्ट्रेशन को लेकर भी आपत्ति जताई है, उनका कहना है कि वक्फ बाय यूजर में भी दस्तावेज देना कठिन है, जिसने संपत्ति वक्फ की, यूजर उसके कागजात नहीं दे सकेगा. उनकी दलील पर सीजेआई गवई ने कहा कि लेकिन 1954 के बाद रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया था.
कपिल सिब्बल ने बताया कि 1904 और 1958 के पुरातात्विक स्मारक एक्ट में वक्फ संपत्ति के प्राचीन होने पर सरकार की तरफ से संरक्षण का प्रावधान है. मालिकाना हक ट्रांसफर नहीं होता. धार्मिक गतिविधियां प्रभावित नहीं होतीं.